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________________ 5 उत्थापित चल प्रतिमाएँ व यंत्र धातु की : 1. श्री पद्मावती देवी की 5” ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1929 का लेख ह । श्री सिद्धचक्र यंत्र गोलाकार 4.5" का है। इस पर संवत् 2052 वैशाख शुक्ला 4 का लेख है । वेदी के दीवार के बीच श्री प्रासाद देवी की श्वेत पाषाण की 6" ऊँची प्रतिमा है। 2. सभामण्डप में बाई ओर : 1. 2. 1. दाहिनी ओर : 2. मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 1. आगे की ओर : 2. श्री पार्श्वनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्राचीन प्रतिमा है। इस पर संवत् 2052 ज्येष्ठ शुक्ला 11 का लेख हैं । श्री आदिनाथ भगवान की श्याम पाषाण की 20 " ऊँची प्रतिमा है । श्री जिनेश्वर भगवान की श्याम पाषाण की 10" ऊँची प्रतिमा है। श्री सम्भवनाथ भगवान की 8" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत् 2052 द्वितीय वैशाख शुक्ला 4 का लेख है। ग्राम के सदस्यों के अनुसार ग्राम 125 वर्ष प्राचीन है। इसमें दो प्रतिमाएँ प्राचीन है, शेष नूतन है । 3. श्री चक्रेश्वरी देवी की श्याम पाषाण की 11" ऊँची प्रतिमा है । श्री रत्नप्रभ सूरि की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है । 4. श्री नाकोड़ा भैरव की पीत पाषाण की 14" ऊँची प्रतिमा है। श्री गौमुख यक्ष की श्याम पाषाण की 10 " ऊँची प्रतिमा है। Jain Education International मंदिर की देखरेख समाज की ओर से श्री गौतमकुमार जी पीतलिया द्वारा की जाती है । सम्पर्क सूत्र- 01474-230419 For Personal & Private Use Only 64 www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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