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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री अजितनाथ भगवान का मंदिर, सावा यह प्राचीन मंदिर चित्तौड़गढ़ से 10 किलोमीटर दूर है। उल्लेखानुसार पूर्व में इस मंदिर का निर्माण संवत् 1700 के लगभग का बताया गया है और प्रतिमा पर भी सं. 1699 उत्कीर्ण है। वि. की 16वीं शताब्दी में गांव में जैन परिवार के 365घर थे।इसलिए सावाका नाम शाहवास था, बाद में अपभ्रंश होकर सावा कहलाने लगा। इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएँ स्थापित है: 1. श्री अजितनाथ भगवान की
(मूलनायक) श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1699 वैशाख शुक्ला 9 का लेख है। श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) धातु की 9" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है। श्री ऋषभदेव भगवान की (मूलनायक के बाएं) धातु की 7" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख
नहीं है। वेदी की दीवार के बीच प्रासाद देवी स्थापित है। दोनों ओर आलिओं में: 1. श्री महायक्ष की श्वेत पाषाण की 10"
ऊँची प्रतिमा है। 2. श्री अजितबाला यक्षिणी की श्वेत
पाषाण की 10' ऊँची प्रतिमा है।
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