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________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 'श्री पार्श्वनाथ भगवान का मंदिर, गिलण्ड यह शिखरबंद मंदिर चित्तौड़गढ़ से 20 किलोमीटर दूर ग्राम के मध्य में स्थित है।उल्लेखानुसार यह आदिनाथ भगवान का मंदिर 100 वर्ष प्राचीन है। वर्तमान में पार्श्वनाथ भगवान का है। मंदिर के बाहर शिलालेख है, जिसमें संवत् 1991 का सन्दर्भ है और गाँव के सदस्यों के अनुसार इसका निर्माणसंवत् 1982 में हुआ। इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित हैं: ___ 1. श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक) श्याम पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा ' है। इस पर वि.संवत् 2008 वीर सं. 2478 माघ सुद 6 का लेख है। केवल नीचे का पट्ट 11' x 13" श्याम पाषाण का है। 2. श्री वासुपूज्य भगवान की श्वेत पाषाण की 7' ऊँची प्रतिमा है। 3. श्री जिनेश्वर भगवान की श्वेत पाषाण की 7" ऊँची प्रतिमा है। नीचे की वेदी पर आदिनाथ भगवान की 9" ऊँची प्रतिमा है। पूर्व में यह प्रतिमा मूलनायक के रूप में विराजित थी। उत्थापित प्रतिमाएंव यंत्र धातु की : 1. श्री शांतिनाथ भगवान की 8" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत् 2018 का लेख है। 2. श्री आदिनाथ भगवान की 9" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत् 1533 का लेख है। 3. श्री पार्श्वनाथ भगवान की 3" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है। 4. श्री सिद्धचक्र यंत्र 4.5'' गोलाकर है। इस पर संवत् 2018 का लेख है। 5. श्री अष्टमंगल 5" x 3" का है। इस पर संवत् 2018 का लेख है। Ja Education International For Personk 243. Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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