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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
विद्यमान थे। इस मंदिर के लिए किवदन्ती है तथा साक्ष्य प्रमाण भी है कि बामनिया तलेसरा गौत्र की उत्पत्ति के इतिहास जो महात्माओं के पास उपलब्ध बही में है जिसका विस्तृत विवरण करेड़ा (भूपालसागर) श्री पार्श्वनाथ भगवान के मंदिर के लेख में उल्लेखित सम्वत् 1029 में प्रतिष्ठित होने का उल्लेख है। उस समय आचार्य श्री यशोभद्र सूरि ने पांच स्थानों पर एक ही शुभ मुहूर्त पर प्रतिष्ठा कराई थी, अतः इस मंदिर का निर्माण 1029 का माना जाकर एक हजार प्राचीन है। ..
__इसको सातबीस मंदिर भी कहते हैं। इसके दोनों ओर कुल 26 देव कुलिकाएं निर्मित हैं इसलिए इसको सातबीस कहा गया है। इसके शिखर व सभामण्डप का गुम्बज कलात्मक बना हुआ है, जिसको कला प्रेमी देखकर मंत्र मुग्ध हो जाते हैं। गुम्बज में अप्सराएँ उत्कीर्ण हैं। इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित है :
1. श्री आदिनाथ भगवान की
(मूलनायक) श्याम पाषाण की 17" ऊँची प्रतिमा है। इस पर
कोई लेख नहीं है। 2. श्री जिनेश्वर भगवान की
(मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 15'' ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है। लांछण स्पष्ट नहीं है। इस पर सुमतिनाथ भगवान का नाम
पेन्ट से लिखा है। 3. श्री सुविधिनाथ भगवान (मूलनायक
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