SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 279
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 मंदिर की पीछे : श्री सिद्धचक्र यंत्र मंदिर स्थापित है, पूजनीय है। मंदिर का उपाश्रय साधु व साध्वी के लिये नोहरा है जो समाज के लिये उपयोग में लाया जाता है। उपाश्रय में निम्न प्रतिमाएं स्थापित हैं : 1. श्री नाकोड़ा भैरव की श्वेत पाषाण की 11" ऊंची प्रतिमा है। 2. श्री शासनदेवी की श्वेत पाषाण की 15" ऊंची प्रतिमा है। मंदिर के सामने -नाकोड़ा भैरव मंदिर : (सड़क पार करने पर) ____ 1. श्री नाकोड़ा भैरव की श्वेत पाषाण की 17" ऊंची प्रतिमा है। इस मंदिर के साथ सटा हुआ उपाश्रय व नाकोड़ा भैरव मंदिर का निर्माण भी मगनलाल जी गांधी द्वारा कराया गया, उपाश्रय में तीर्थकर महावीर भगवान के 27 भव चित्र है। करीब 100 सदस्य द्वारा प्रतिदिन पूजा की जाती है। पूजा के लिए कोई पुजारी नहीं है। मंदिर की वार्षिक ध्वजा ज्येष्ठ वदि 2 को चढ़ाई जाती है। मंदिर की देखरेख बसन्त लाल जी गांधी (अध्यक्ष) मो. 96361 52472 श्रीअशोकजीगांधी(मंत्री)80036 26806 द्वारा की जाती है। आगे नोहरे में पृथक से श्री सिद्धाचल (शत्रुजय) पट्ट का स्थान है जहां कार्तिक पूर्णिमा को भावयात्रा की जाती है। इसमें एक छतरी (देवरी) स्थापित है। जिसमें निम्न प्रतिमाएं स्थापित है : श्री सागरानन्द सूरि जी म. सा. की पिंक पाषाण की 15" ऊंची प्रतिमा है। 2. श्री गच्छाधिपति सूर्योदयसागरसूरि जी म.सा. की पिंक पाषाण की 15" ऊंची प्रतिमा है। उपाध्याय श्री धर्मसागर जी म.स. की पिंक पाषाण क 15" ऊंची प्रतिमा है। 4. श्री अभय सागर जी म.सा. की पादुका पिंक पाषाण की 11" वृताकार चौकी पर स्थापित है। इसकी देखरेख समाज की ओर से शैतान सिंह जीगांधीद्वारा कीजातीहै। 1. Jain Education International For per ( 261 ate Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy