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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री सुपार्श्वनाथ भगवान का मंदिर, बोरी
यह शिखरबंद मंदिर प्रतापगढ़ से 15 किलोमीटर दूर है। उल्लेखानुसार इस मंदिर का निर्माण समाज द्वारा सं. 1800 के लगभग में हुआ। पूर्व में यह चन्द्रप्रभ भगवान का मंदिर था, वर्तमान में श्री सुपार्श्वनाथ का
है।
मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित हैं : 1. श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक)
श्वेत पाषाण की 19'' ऊँची प्रतिमा है।
इस पर संवत् 1999 का लेख है। 2. श्री वासुपूज्य भगवान की (मूलनायक के
बाएं) की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1999 का लेख
3.
4.
श्री चन्द्रप्रभ भगवान की श्वेत पाषाण की 7" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है। श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 13" ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं. 1999 का लेख है। श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की श्वेत पाषाण की 7" ऊंची है। इस पर सं. 1993 का लेख है। उक्त प्रतिमाओं में से एक चन्द्रप्रभ भगवान की प्रतिमा पूर्व की है, दो खण्डित होनेसे नूतन प्रतिमाएं विराजमान कराई। इनकी प्रतिष्ठा श्री प्रकाश विजय जी की निश्रा में सम्पन्न
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