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बाहर सभामण्डप में निकलते समय बाएं से दाएं :- (कारनिस पर)
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बड़ी देवरी में :
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श्री जिनेश्वर भगवान की श्याम पाषाण की 8" ऊंची प्रतिमा है।
श्री चतुर्विशंति प्रतिमाएं 13 "X13 " श्वेत पाषाण के पट्ट पर है।
श्री सम्भवनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 9 ऊंची प्रतिमा है। इस पर वीर सं. 2183 का लेख है ।
मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री जिनेश्वर भगवान की श्वेत पाषाण की 7" ऊंची प्रतिमा है। सं. 1630 का लेख है।
श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 9 ऊंची प्रतिमा है। इस पर सुदि 3 पढ़ने में आता है ।
पादुका पट्ट श्वेत पाषाण का 3 ऊंचा है। इस पर सं. 1988 का लेख है । श्री नेमिनाथ भगवान की श्याम पाषाण की 10" ऊंची प्रतिमा है।
श्री अजितनाथ भगवान की (मूलनायक ) श्वेत पाषाण की 17 ऊंची प्रतिमा है । इस पर सं. 1618 का लेख है।
श्री पद्मप्रभ की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 86 ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं. 1638 का लेख है।
श्री मल्लिनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 8” ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं. 1854 का लेख है।
श्री गणपति देव की श्याम पाषाण की 15" ऊंची प्रतिमा है। इस प अस्पष्ट लेख है।
श्री पार्श्वनाथ यक्ष की श्वेत पाषाण की 7" ऊंची प्रतिमा है । कोई लेख नहीं है ।
श्री क्षेत्रपाल 5”,4,3“11,9" पांच प्रतीक के रूप में स्थापित मूर्तिया हैं ।
श्री सिद्धचक्र यंत्र 30 X17" पाषाण का है।
श्री चन्द्रप्रभ भगवान की श्वेत पाषाण की 14 ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं. 1738 का लेख है।
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