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यह घूमटबंद मंदिर चित्तौड़गढ़ से 20 व निम्बाहेड़ा से 12 किलोमीटर दूर है। चित्तौड़ व निम्बाहेड़ा रेल्वे स्टेशन है। ग्राम बसे हुए 500 वर्ष हो गए हैं ग्राम के साथ ही इस मंदिर को धींग परिवार ने बनवाया और 150 वर्ष पूर्व इसको समाज को सुपूर्द किया। जिर्णोद्धार करा प्रतिष्ठा संवत् 2001 मार्ग शुक्ला 6 को सम्पन्न हुई। पूर्व की प्रतिमा खण्डित होने से नवीन प्रतिमा को विराजमान राई ।
इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएँ विराजमान कराई :
1. श्री वासुपूज्य भगवान की श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है ।
उत्थापित धातु की प्रतिमाएँ व यंत्र -
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श्री वासुपूज्य भगवान का मंदिर, अरनोदा
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श्री शांतिनाथ भगवान की 7" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1578 का लेख है।
श्री पार्श्वनाथ भगवान की 3 ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1359 का लेख है। यह प्रतिमा खनन से प्राप्त हुई है।
श्री पार्श्वनाथ भगवान की 6' ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है ।
श्री सिद्धचक्र यंत्र गोलाकार 4.2" का है। इस पर कोई लेख नहीं है ।
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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
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