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________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 श्री चन्द्रप्रभ भगवान का मंदिर, सतखण्डा यह घूमटबंद मंदिर चित्तौड़गढ़ से 15 किलोमीटर दू ग्राम के मध्य स्थित है। यह मंदिर 200 वर्षप्राचीन बतलायागयाहै। इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित हैं। 1. श्री चन्द्रप्रभ भगवान की श्वेत | पाषाण की 10" ऊँची प्रतिमा है।। इस पर कोई लेख नहीं है। उत्थापित धातु की प्रतिमा व यंत्र: 1. श्री संभवनाथ भगवान की 8' ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2049 का लेख है। 2. श्री सुमतिनाथ भगवान की 8" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत् 1519 का लेख है। 3. श्री सिद्धचक्र यंत्र गोलाकार 4.5" का है। इस पर संवत् 2061 का लेख है। 4. श्री अष्टमंगल यंत्र 6" x 3.5" का है। • "श्री अधिष्ठाता देव की 23'' ऊँची प्रतिमा है। मारी पन्ना का प्रयोग होता है। वार्षिक ध्वजा वैशाख सुदि 5 को चढ़ाई जाती है। समाज की ओर से देखरेख श्री रूपलाल जी बोल्या करते हैं। सम्पर्कसूत्र-01472-220892 जैन मंदिर सतखण्डा प्राचीन खण्डहर मंदिर है जिसका शिखर अफसरावमंगलमूर्ति दिखाई देती है। (181) For Personarenate Use Only Jain International www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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