________________
5
मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री विमलनाथ भगवान का मंदिर, बांगरड़ा (मामादेव)
यह शिखरबंद मंदिर निम्बाहेड़ा से 10 किलोमीटर दूर ग्राम के मध्य में स्थित है। मंदिर निर्माण करने के लिये श्री सुजानमल जी जयसिंह जी जारोली ने भूमि भेंट की और मंदिर का कार्य प्रारम्भ कर संवत् 2055 में मंदिर की प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई अर्थात् यह नूतन मंदिर है जिसकी प्रतिष्ठा सं. 2055 पोष वदि 8 को सम्पन्न हुई ।
मंदिर में निम्न प्रतिमाएँ स्थापित है :
1. श्री विमलनाथ भगवान की (मूलनायक ) श्वेत पाषाण की 21" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2054 माघ शुक्ला 13 का लेख है।
2. श्री आदिनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2052 का लेख हैं।
3. श्री सम्भवनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है । इस पर सं. 205 ... का लेख है ।
उत्थापित चल प्रतिमाएँ व यंत्र धातु की :
1. श्री पार्श्वनाथ भगवान की 9" ऊँची प्रतिमा है। इस पर श्री जितेन्द्र सूरि की प्रतिष्ठा का लेख है ।
2. श्री विमलनाथ भगवान की 8" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर सं. 2045 वैशाख 5 का लेख है।
3. श्री सिद्धचक्र यंत्र गोलाकार 5" का है। इस पर सं. 2045 वैशाख सुदि 3 का लेख है।
4. श्री अष्टमंगल यंत्र 6" x 3.5" का है। इस पर सं. 2045 वैशाख सुदि 5 का लेख है। वेदी की दीवार के बीच प्रासाद देवी 7" ऊँची प्रतिमा है।
निज मंदिर के बाहर दोनों ओर आलिओं में :
1. श्री षष्टमुख यक्ष की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 2055 का लेख है।
2. श्री विजया देवी की श्वेत पाषाण की 13" प्रतिमा है। इस पर सं. 2055 का लेख है। मंदिर के पास उपाश्रय की भूमि उपलब्ध है वहां निर्माण कराया जाना है।
वार्षिक ध्वजा पोष वदि 8 को चढ़ाई जाती है ।
व्यवस्था श्री अशोक कुमार जी जारोली द्वारा की जाती है। मोबाइल : 9829954227
Jain Education International
For Per
174
vate Use Only
www.jainelibrary.org