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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री मुनिसुव्रत भगवान का मंदिर, केली (निम्बाहेड़ा)
यह शिखरबंद मंदिर निम्बाहेड़ा से 5 किलोमीटर दूर है। यह करीब 200 वर्ष प्राचीन बताया जाता है। उल्लेखानुसार पूर्व में यह आदिनाथ भगवान का मंदिर था प्राचीन प्रतिमा को वर्तमान में मूलनायक के पास
विराजमान कराईहै। मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित है: 1. श्री मुनिसुव्रत भगवान की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की ऊँची प्रतिमा है।
इस पर लेख अपठनीय हैं। श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्याम पाषाण की 11" ऊँची
प्रतिमा है। इस पर सीमेन्ट लगने से लेख अपठनीय है। 3. श्री आदिनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्याम पाषाण की 11" ऊँची
प्राचीन प्रतिमा है। इस पर सीमेन्ट लगने से लेख अपठनीय है। इन प्रतिमाओं पर "श्री अमरसेन अजितसेन विजय के सदुपदेश से प्रतिमाएँ " उल्लेखित है। उत्थापित चल प्रतिमाएँ: ___ 1. श्री महावीर भगवान की 11" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2047 का लेख
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2. 3.
श्री पार्श्वनाथ भगवान की 6" ऊँची प्रतिमा है। श्री जिनेश्वर भगवान की पाषाण की 4" ऊँची प्रतिमा है। वेदी की दीवार के बीच प्रासाद देवी स्थापित है।
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