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पृथक्-पृथक् देवरी में :
1. श्री पार्श्वनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 19" ऊँची प्रतिमा है । इस पर
संवत् 2056 का लेख है ।
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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
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श्री गौमुख यक्ष की श्याम पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 2056 का लेख है ।
श्री गोमुख यक्ष की धातु की 5" ऊँची प्रतिमा है।
श्री गौतम स्वामी की श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2056 का लेख है।
श्री रत्नप्रभ सूरि की 18" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2056 का लेख है ।
श्री नाकोड़ा भैरव की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है।
श्री सिद्धचक्र यंत्र पाषाण का स्थापित है।
7.
नीचे उपाश्रय में :
श्री माणिभद्र की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। मंदिर का आमूलचूल जीर्णोद्धार (नवीन मंदिर) करा संवत् 2056 में प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई ।
वार्षिक ध्वजा कार्तिक सुदि 15 को चढ़ाई जाती है ।
समाज की ओर से देखरेख श्री समरथमल जी सिघंवी करते हैं। मंदिर के साथ धर्मशाला भी है।
अरिहंत के साथ एक होने में मेहनत नहीं है, अरिहंत से अलग होने में मेहनत है ।
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