SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 170
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 सामने विशाल भवन बन गये हैं, संभव नहीं है। प्रतिवर्ष पोषवदि 10 को मेला लगता है, हजारों श्रद्वालु आते हैं एवं पूजा पाठ करते हैं। वार्षिकध्वजापोष कृष्णा 10 को चढ़ाई जाती है। इस मंदिर की देखरेख के लिए एक ट्रस्ट बना है व कार्य को देखने कर्मचारी नियुक्त है। __ भोजनशाला व्यवस्थित संचालित है। धर्मशाला को आधुनिक बनाने के लिए क्षतिग्रस्त कर दी है। कुछ कमरे विद्यमान है शेष निर्माणाधीन है। पेढ़ी का कार्यालय है। सम्पर्कसूत्र :-श्रीजैन श्वेताम्बर करेड़ा तीर्थ, भूपालसागर फोन(01474)224233 प्राचीन बावन जिनालय की देहरियों के पाट पर निम्न लेखों का उल्लेख हैं। (1) संवत् 2034 (व) र्षे श्री संकेरक गच्छे श्री यशोभ्रद सूरि संताने श्री स्यामा चार्या (2) प्र. म. श्री यशोभद्र सूरिभिः श्री पार्श्वनाथ बिंबं प्रतिष्ठितं । ।न ।। पूर्व चंद्रेण कारितं (1) ऊँ संवत् 1303 वर्षे चैत्र वदि 4 सोमदिने श्री चित्र गच्छे श्री भद्रेश्वर संताने राटनरीय वंशे। (2) श्रे. भीम अर्जुन कमवट श्रे. बूआ पुत्र श्रे. धयजा धांधल पासम ऊदादिली कुटुंब समेतेः। य प्रतिमा कारिता । प्रति. श्री जिनेश्वर सूरि शिष्यैः श्री जिनदेव सूरिभिः ।। (1) ऊँ संवत् 1329 वर्षे ज्येष्ठ वदि 11 बुधे श्री कोरंटक गच्छे श्री नन्नाचार्य संताने (2) सा. भीमा पुत्र जिसदेव रतन श्ररयमदन कुंता महणराव मातृ लाबी श्रेयार्थ विंबं (कारि) (3) (ता) । प्रतिष्ठितं । श्री सर्वदेव सूरिभिः ।। (1) ।। (संवत् 1329) ज्येष्ठ वदि 11 बुधे श्री षंमेरक गऐ प्रतिबद चैत्यालये श्री Jain Education International For a Private Use Only www.jainelibrary.org F (152) atelse only
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy