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________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 खेलामण्डप से बाहर निकलते समय बाई ओर आलिए में: श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान की धातु की 15" ऊँची प्रतिमा है। इस पर लेख है – करेड़ा तीर्थ श्री उदयपुर निवासी प्राग्वाट श्रेष्ठि श्री शोभालाल, नन्दलालजी सुपुत्र भंवरलालजी पत्नी वक्तियाबाई गोरवाड़ा पोरवाड़ ------- खोलामण्डप से बाहर निकलते समय दाईं ओर आलिए में: ___ श्री विध्नहरण पार्श्वनाथ भगवान की धातु की 15" ऊँची प्रतिमा है। इस पर यह लेख है करेडा तीर्थ श्री उदयपुर निवासी प्रागवाट श्रेष्ठि श्री फतहलाल धर्मपत्नी स्व. रोशनबाई तत्पुत्र नरेन्द्रकुमार, शांतिलाल, मदनसिंह पौत्र श्री श्रेणिक मनावत - - - यह बावन जिनालय मंदिर कहलाता है। बावन जिनालय क्षेत्र से मंदिर में प्रवेश करते समय बाईं ओर - श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 19'' ऊँची प्रतिमा है । इसके नीचे यह लेख है – संवत् 2033 माघशुद 13 श्री करेड़ा तीर्थ उदयपुर श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्री संधेन – – श्री नेमीसुरीश्वर पट्टधर आचार्य श्री दक्षसूरि आ. श्री सुशीलसूरीश्वर --- श्री आदिनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 11" ऊँची प्रतिमा है। इस पर लेख है- श्री आदिनाथ इस प्रतिमा की पूर्व में श्री रोशनलालजी चतुर ने प्रतिष्ठित कराई। ___ श्री जिनेश्वर भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 11' ऊँची है । इस पर कोई लाछंण व लेख नहीं है। नीचे- इस प्रतिमा की पूर्व में फतहलालजी चतुर ने प्रतिष्ठा कराई, उसको पुनः उनके पुत्र रणजीतलाल चतुर ने विराजमान कराई। श्री श्यामला पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 19" ऊँची प्रतिमा है । इस पर लेख है - श्री करेड़ा तीर्थ शिवगंज निवासी प्रागवाट श्री बच्छराज श्रेष्ठि का सकुटुम्ब - - - यह प्रतिमा मद्रास निवासी मेघराज साकलचन्द द्वारा विराजमान कराई। Jain Education International For F 139 )rivate Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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