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________________ 5 म श्री पार्श्वनाथ भगवान का मंदिर, लांगच यह घूमटबंद मंदिर कपासन से 20 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर 250 वर्ष प्राचीन है । पूर्व में यह शांतिनाथ भगवान का मंदिर था। निर्माणकर्ता कौन है, जानकारी नहीं है । यह तृतीय श्रेणी का ठिकाना रहा है। यहां के शासक राणावत रहे हैं । मंदिर में निम्न प्रतिमाएँ स्थापित हैं : 1. 2. 3. मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 2. श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक ) श्वेत पाषाण की 17" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1826 वैशाख सुदि 6 का लेख है। श्री महावीर भगवान की (मूलनायक के (दाएं) श्वेत पाषाण की 12" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2006 मिगसिर सुदि 6 का लेख है । मूलनायक की प्रतिमा पूर्व में श्री मांगीलाल पन्नालाल जी खाब्या के घर पर विराजमान थी। ये तीनों ही प्रतिमाएँ पृथक-पृथक् वेदी पर स्थापित हैं। उत्थापित प्रतिमाएँ व यंत्र धातु की : 1. Jain Education International श्री महावीर भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 11" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2006 मिगसिर सुदि 6 का लेख है । श्री जिनेश्वर भगवान की 8" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है । श्री जिनेश्वर भगवान की 6" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है । श्री सिद्धचक्र यंत्र 4.5 " x 4.5" का है। 3. बाहर आलिए में: श्री क्षेत्रपाल की प्रतीक मूर्ति स्थापित है। समाज के 15 घर हैं वे बारी-बारी से पूजा का सामान देते हैं तथा प्रति परिवार 25 किलो अनाज प्रत्येक फसल पर पुजारी को दैनिक वृति के रूप में देते हैं । For Pes 130 vate Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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