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________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 श्री आदिनाथ भगवान का मंदिर, गौराजी का निम्बाहेड़ा ___ यह घूमटबंद मंदिर कपासन से 15 किलोमीटर दूर है। रेल्वे स्टेशन कपासन , चित्तौड़गढ़ है। बस का साधन है। मंदिर 500 वर्ष प्राचीन है। मंदिर के नाम संवत् 1551 माघ सुदि 13 का ताम्रपत्र संवत् 1921 चैत्र सुदि 13 का है। इसके ये दोनों ही ताम्रपत्र श्री सोहन जी नाथूलाल जी पुजारी के पास हैं। ऐसा बतलाया जाता है कि मंदिर श्री रूपचंद जी साबला द्वारा निर्मित है। मंदिर में निम्न प्रतिमाएँ स्थापित हैं : 1. श्री आदिनाथ भगवान की (मूलनायक) श्याम पाषाण की 17" ऊँची प्रतिमा हैं। इस पर संवत् 1752 ज्येष्ठ सुदि 13 का लेख हैं। उत्थापित प्रतिमाएँ व यंत्र धातु की: 1. श्री कुंथुनाथ भगवान की 8" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत् 1818 आषाढ़ सुदि 3 का लेख है। श्री अजितनाथ भगवान की 7" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत् 1596 ज्येष्ठ सुदि 2 का लेख है। Jain Education International For Personal Private Use Only www.jainelibrary.org (128)
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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