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________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 उत्थापितचल प्रतिमाएँवयंत्र धातु की: श्री संभवनाथ भगवान की 7" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत् 1614 वै.सुदि 2 का लेख है। 2. श्री सिद्धचक्र यंत्र 4"x 4" का है। कोई लेख नहीं है। श्री अष्टमंगल यंत्र 6"x 3.7' का है। इस पर संवत् 2045 वै.सुदि 5 का लेख है। वेदी की दीवार के बीच में श्री प्रासाद देवी की श्वेत पाषाण की 5" ऊँची प्रतिमा है। इस पर लेख नहीं है। बाहर आलिओं में: __ श्री धरणेन्द्र देव की श्वेत पाषाण की 9" ऊँची प्रतिमा है। इस पर अस्पष्ट लेख है। 2. श्री पद्मावती देवी श्वेत पाषाण की 11" ऊँची प्रतिमा है। इस पर वीर संवत् 2478 चैत्र वदि 3 का लेख है। सभामण्डप में एक देवरी में: श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 11" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2047 का लेख है। 2. श्री चन्द्रप्रभ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 9" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1545 वै0 सु0 3 का लेख है। श्री सुविधिनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 9" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1545 वै.सुदि 3 का लेख है। एक अन्य आलिए में 13" x 9' के पट्ट पर पादुकाए स्थापित है। कोई लेख नहीं है। संवत् 1999 में हुए जीर्णोद्धार का शिलालेख स्थापित है। वार्षिकध्वजाचैत्रवदि3कोचढ़ाई जाती है। मंदिर की देखरेदख भादसोड़ा के ट्रस्ट केन्यासी श्री भादविया जी करते है वहीं से पूजन सामग्री व अन्य खर्च उन्हीं द्वारा किये जाते हैं। समाज की ओर से स्थानीय स्तर पर श्री रोशनलालजीहीरालाल जी मेहता द्वारादेखरेख की जाती है। सम्पर्कसूत्र:मोबाइल : 92148 30192 Jain Education international Fon Personal Prwale Use Only ale Use Only www.jainelibrary.org (116)
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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