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________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 2. बाहर मंदिर में प्रवेश करते समय दाएं: 1. श्री शांतिनाथ भगवान की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 17" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1826 का लेख हैं। श्री विमलनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 11" ऊँची प्रतिमा है । इस पर संवत् 2032 वै. सुद 6 का लेख है। श्री सुमतिनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1826 का लेख है। इसके आगे एक आलिए में – श्री सिद्धायिका देवी की श्वेत पाषाण की 12" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2032 का लेख है। बाई ओर: श्री मातंग यक्ष की श्वेत पाषाण की 12" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2032 का लेख है। 2. श्री माणिभद्र की श्वेत पाषाण की 13'' ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2032 का लेख है। वार्षिकध्वजामाह वदि 6 को चढ़ाईजाती है। मंदिर की देखरेख श्री रोशनलालजी मेहता अध्यक्ष द्वारा की जाती है तथा विशेष रूचि श्रीमदनलालजीजैन(खेरोदिया)द्वारालीजाती है। सम्पर्कसूत्र : फोन 01470-246609 जहाँ मन-वचन-काया से चोरी नहीं होती वहाँ लक्ष्मीजी की कृपा रहती है। लक्ष्मी का अंतराय चोरी के कारण है। Jain Education International For Pere Private Use Only www.jainelibrary.org (114)
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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