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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्रीजेनश्वे.
AURARI
श्री आदिनाथ भगवान का मंदिर, निकुम्भ
यह शिखरबंद मंदिर मंगलवाड़ चौराहा व निम्बाहेड़ा से 20 किलोमीटर दूर है। जानकार सूत्रों के अनुसार ग्राम के बसने के साथ - साथ ही मंदिर की स्थापना हुई। पूर्व में यह मंदिर छोटा था। उल्लेखानुसार मंदिर संवत् 1700 है। प्रतिमाओं के आधार पर भी करीब 350 वर्ष प्राचीन है जो सत्यताकेलगभग प्रतीत होता है। इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित हैं : 1. श्री आदिनाथ भगवान (मूलनायक) की श्वेत पाषाण
की 37" ऊँची प्राचीन प्रतिमा है। इस पर संवत् ___ 1704 वै.शु. 13 का लेख है।
2. श्री शांतिनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2042 वैशाख शुक्ला 4
का लेख है। 3. श्री चंद्रप्रभ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा
है। इस पर संवत् 1811 का लेख है। . वेदी की दीवार के मध्य प्रासाद देवी
श्री आदिनाथजी की श्वेत पाषाण की 7" ऊँची प्रतिमा है। धातु की प्रतिमाएँवयंत्र: 1. श्री जिनेश्वर भगवान की चतुर्विंशति
12" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत्
2043 का लेख है। 2. श्री सिद्धचक्र यंत्र 5.5" x 5.5'' का __है। इस पर संवत् 2000 का लेख है। 3. श्री सिद्धचक्र यंत्र गोलाकार 6'' है।
इस पर संवत् 2043 का लेख है। 4. श्री अष्टमंगल 4.5" x 2'यंत्र का
है। इस पर संवत् 2060 का लेख है।
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