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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
बाहर निकलने पर - विभिन्न आलिओं में दाहिनी ओरः
श्री वर्द्धमान भगवान की श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 2062 का लेख है। श्री त्रिमुख यक्ष की श्वेत पाषाण की 12" ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 2062
का लेख है। 3. श्री नाकोड़ा भैरव की पीत पाषाण की 16” ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत्
2062 का लेख है। बाई ओर: ____ 1. श्री दुरितारी देवी की श्वेत पाषाण की 12" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत्
2062 का लेख है। 2. श्री सरस्वती देवी की श्वेत पाषाण की 14" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत्
2062 का लेख है। वार्षिकध्वजाफाल्गुणकृष्णा 10 को चढ़ाई जाती है। इस मंदिर की देखरेख समाज की ओर से श्रीकमलेशजीबोहरा द्वारा की जाती है। सम्पर्क सूत्र :लोकेशजी, मोबाइल 9983451022, 9610004412
श्री जिनेश्वर भगवान का मंदिर, रूद यह शिखरबंदमंदिर कपासन से 20 किलोमीटर दूर है।मंदिर करीब 100 वर्ष प्राचीन है, जीर्ण अवस्था में है।जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है।वर्तमान में आदिनाथ भगवान की एक प्रतिमास्थापित है।
इस मंदिर के लिए श्री महावीर भगवान की श्वेत पाषाण की 19" ऊँची प्रतिमा है, वर्तमान में यह बारू ग्राम के जैन मंदिर में अस्थायी रूप से मेहमान के रूप में विराजमान है। जीर्णोद्धार पूर्ण होने पर विधिवत रूप से विराजमान कराई जाएगी ।
यह मंदिर पूर्व में संवत् 1915 में श्री पन्नालालजी मोड़ीलाल जी द्वारा निर्मित
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