________________
मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
शीतलनाथ जैन प्रतिशत
ज
श्री शीतलनाथ भगवान का मंदिर, पहुँना
यह शिखरबंद मंदिर चित्तौड़ व कपासन से 25 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर करीब 150 वर्ष प्राचीन है। उल्लेखानुसार संवत् 1900 केलगभग निर्मित है।पूर्व में यह मंदिर श्री आदिनाथ भगवान का रहा है। पहुंना ग्राम संवत् 1224 में पूर्णिया जाट अपने सात परिवार के साथ यहा बसे, उसी के नाम से पूर्णिया गांव बाद में अपभ्रंश पहुंना कहलाने लगा।धीरे-धीरे अन्य जाति के लोग बसने लगे और यह गांव होल्कर सिंधिया के अधीन रहा। वि.सं. 1618 में राणावत को यहां की जागीरी दी।पहले यहां पर यति विराजमान थे। यति जी के पास
भूमि, कुआं भी था, बेच दिये गये। यति खेमराजजी, नन्दलाल जी, शिवचंदजी, जगतचंद्र जीथे, वे ही मंदिर के पास रहते थे।पूर्व में मंदिर ग्राम के नीचे की ओर था। यह तृतीय श्रेणी का ठिकाना रहा है। यहां के शासकराणावत कहलाते हैं। मंदिर में निम्न प्रतिमाएँ स्थापित हैं: 1. श्री शीतलनाथ भगवान की
(मूलनायक) श्वेत पाषाण की 19" ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 2035 का लेख है। श्री विमलनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 19" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 2041 का लेख है।
Jair ledsation International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibraong
an