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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
इसके आगे श्री जिनकुशलसूरि के चरण 12” गोलाई पाषाण पर 7"x 7" की पादुका स्थापित है। इसके किनारे पर संवत् 1924 का लेख है। निकलते समय दाएं: 1. श्री जिनेश्वर भगवान (सुपार्श्वनाथ लिखा हुआ) की श्वेत पाषाण की 17"
ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लांछण (चिन्ह) व लेख नहीं है। 2. श्री माणिभद्र की श्वेत पाषाण की 17" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख
नहीं है। विशेष चमत्कार:
80 वर्ष पूर्व चोर चोरी करने आए थे सामान ले जाते समय उनके पांव चिपक गए थे सामान का नुकसान नहीं हुआ। चोरों को छोड़ दिया। मंदिर में प्राचीन गुफा है, कहा जाता है कि यह भीलवाड़ा (पुर) तक जाती है। द्वार पर दोनों ओर हाथी स्वागत के लिए स्थापित हैं। परिक्रमा कक्ष के तीनों ओर चित्रपट्ट लगाने की योजना है। दीवार पर जिनेश्वर भगवान व अप्सरा की प्रतिमा है।
वार्षिकध्वजापोषवदि 10 को चढ़ाई जाती है। देखरेख समाज के प्रतिनिधि श्रीमनोहरलालजीपोखरना करते हैं। सम्पर्कसूत्र-01471-226158
जब तक खुद की भूलें नहीं दिखतीं तब तक भगवान ____ नहीं बन सकते।
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