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________________ अभ्यास संख्या अभ्यास- 22 अभ्यास- 23 अभ्यास- 24 अभ्यास- 25 अभ्यास- 26 अभ्यास- 27 अभ्यास- 28 अभ्यास- 29 अभ्यास- 30 अभ्यास - 31 अभ्यास- 32 अभ्यास- 33 अभ्यास- 34 अभ्यास- 35 अभ्यास- 36 अभ्यास- 37 अभ्यास- 48 पाठ 26 पाठ 27 विषय विधि कृदन्त (भाववाच्य) अतिरिक्त अकर्मक क्रियाएँ (भाववाच्य) Jain Education International 93 95 98 100 104 106 110 112 कृदन्त, कर्मवाच्य, तृतीया 114 विविध कृदन्त 117 संज्ञा, चतुर्थी, षष्ठी (एकवचन, बहुवचन) 118 संज्ञा, पंचमी, सप्तमी (एकवचन, बहुवचन) 119 प्रेरणार्थक प्रत्यय 121 स्वार्थिक प्रत्यय, विविध सर्वनाम, अव्यय 123 अनियमित कर्मवाच्य 125 अनियमित भूतकालिक कृदन्त 126 विउसीहे पुत्तबहूहे कहाणगु 130 ( व्याकरणिक विश्लेषण एवं शब्दार्थ) कर्तृवाच्य एवं भाववाच्य संज्ञा (द्वितीया - एकवचन, बहुवचन) अतिरिक्त सकर्मक क्रियाएँ अपभ्रंश रचना सौरभ के अभ्यास पाठ संख्या विषय पाठ 17 संज्ञा (इ, ई, उ, ऊ पु. नपुं. स्त्री . ) संज्ञा (इ,ई,उ,ऊ पु. नपुं. स्त्री. ) संज्ञा, सकर्मक क्रियाएँ अतिरिक्त अकर्मक क्रियाएँ एवं मिश्रित वाक्य भविष्यत्काल सम्बन्धक भूतकृदन्त पृष्ठ संख्या For Personal & Private Use Only पृष्ठ संख्या 150 152 154 www.jainelibrary.org
SR No.004213
Book TitleApbhramsa Abhyas Uttar Pustak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2011
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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