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पंचवासा कहिआ
पाँच वर्ष कहे गये
वह
सचु
एवं
कुडुबसु धम्मपत्तिहे वट्टाए विउसीहे
सत्य (है) इस प्रकार कुटुम्ब के लिए धर्मलाभ की वार्ता से विदुषी
और पुत्रवधू के यथार्थ वचन को सुनकर लक्ष्मीदास
पुत्तबहूहे
[(पंच)-(वास)1/2] (कह) भूक 1/2 (त) 1/1 स (सच्च) 1/1 अव्यय (कुडुंब) 4/1 [(धम्म)-(पत्ति) 6/1] (वट्टा) 3/1 (विउसी) 6/1
अव्यय (पुत्तबहू) 6/1 [(जहत्थ)-(वयण) 2/1] (सुण) संकृ (लच्छीदास) 1/1
अव्यय (पडिबुद्ध) 1/1 वि (वुडत्तण) 7/1
अव्यय (त)3/1 स (धम्म) 1/1 (आराह) भूकृ 1/1 (सम्गइ) 1/1 (पत्त) भूकृ 1/1 अनि (सपरिवार) 1/1
जहत्थवयणु
सुणेप्पिणु लच्छीदासु
पडिबुद्ध
ज्ञानी (हुआ) बुढ़ापे में ह्र
वुड्ढत्तणि
वि
उसके द्वारा
धर्म
धम्म आराहिउ सम्गइ
पत्तु • सपरिवार
पाला गया सन्मार्ग प्राप्त किया गया सपरिवार
अपभ्रंश अभ्यास उत्तर पुस्तक
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