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12.
13.
(हस + ई)
हसई
( हस + न्त) = हसन्ता,
हसन्ती (सूत्र 5/24 से) 1
= हसमाणा,
माणी (सूत्र 5 / 24 से) 1
( हस + माण ) (सूत्र 5/24 के अनुसार स्त्रीलिंग बनाने के लिए 'ई' और 'आ' प्रत्ययों का प्रयोग होता है इसीलिए हसन्ता, हसन्ती, हसमाणा, हसमाणी रूप बने हैं।)
12
धातोर्भविष्यति हि: 7/12
धातोर्भविष्यति हिः { (धातोः) + (भविष्यति) } हिः
धातोः (धातु) 5 / 1 भविष्यति ( भविष्यत्) 7 / 1 हि: (हि) 1 / 1. भविष्यत्काल में धातु से परे 'हि' (प्रत्यय लगता है)। भविष्यत्काल में धातु से परे 'हि' प्रत्यय लगता है, हि प्रत्यय लगाने के पश्चात् • वर्तमानकाल के पुरुषबोधक व वचनबोधक प्रत्यय जोड़ दिये
जाते हैं।
=
उत्तमे स्सा हा च 7 / 13
उत्तमे (उत्तम) 7/1 स्सा (स्सा) 1 / 1 हा (हा ) 1 / 1 च = और उत्तमपुरुष में स्सा, हा और ( हि होते हैं) ।
भविष्यत्काल में उत्तमपुरुष एकवचन और बहुवचन में स्सा, हा और हि होते हैं। 'स्सा', 'हा' और 'हि' प्रत्यय लगाने के पश्चात् वर्तमानकाल के पुरुषबोधक व वचनबोधक प्रत्यय तो जुड़ेंगे ही।
भविष्यत्काल, उत्तमपुरुष, एकवचन
1. वररुचि-प्राकृतप्रकाश (भाग - 1)
=
( हो + स्सा + मि ) होस्सामि ( हो + हा + मि) = होहामि ( हो + हि + मि) = होहिमि
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वररुचि- प्राकृतप्रकाश (भाग - 2)
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