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________________ कहाऊँ स्तम्भ एवं क्षेत्रीय पुरातत्व की खोज २५ के दरवाजे के समक्ष बना था । भगवानलाल इन्द्र जी का कहना है कि यद्यपि इस स्तम्भ के पास अब कोई मन्दिर नहीं है, परन्तु स्तम्भ के उत्तर में २५ फुट की दूरी पर मंदिर की ईंटों की नींव उपलब्ध है जिस पर कभी जैन मन्दिर बना था। इस प्रकार इन्होंने सम्भवतः उत्तर दिशा में वह ही अवशेष खोजे हैं जो कनिंघम ने मलवे के ढेर के रूप में देखे थे । कनिंघम ने यह भी लिखा है कि स्तम्भ के चारों तरफ अन्य मंदिर व भवन भी होंगे, अन्यथा इतना बड़ा टीला कैसे बनता जिसकी लम्बाई पूर्व से पश्चिम १२०० फुट, औसत चौड़ाई ४०० फुट है एवं पास के खेतों से जिसकी ऊँचाई ६ फुट तक है । भगवानलाल इन्द्र जी का कहना है कि स्तम्भ मंदिर के सामने होगा । पंडित बलभद्र का कहना है कि यहाँ खुदाई कराने से भगवान पुष्पदन्त-जिनका यह तीर्थ है—का मन्दिर निकलने की सम्भावना है। ऐसे स्तम्भ हमेशा मंदिर के सामने ही होते हैं। इन सब तर्कों में यह भी जोड़ना उचित है कि स्तम्भ में नीचे की मूर्ति स्तम्भ के पश्चिम पहलू पर बनी है । वह तब ही सम्भव है जब इसके सम्मुख पूर्वमुख का मंदिर हो अन्यथा स्तम्भ के नीचे की मूर्ति पूर्व पहलू पर या उत्तर पहलू पर उकेरी जाती। (५) मंदिर के पास स्तूप अथवा गोल चबूतरा-पुराना मंदिर जो बुकनान ने भी वर्णन किया है के स्थान पर अब नया मंदिर बन गया है । इस मंदिर के पूर्व-दक्षिण छोर पर एक गोल चबूतरा, दिखाई दे रहा है । यह नये मंदिर के चबूतरे से लगा हुआ है । पुराना मंदिर जैसा कनिंगहम ने नापा केवल १२'-६" x १२-६" का था । इस चबूतरे की दूरी पुराने मंदिर से लगभग १०' रही होगी । इस चबूतरे का पंडित बलभद्र ने भी वर्णन किया है।। इस मंदिर में पहले से पार्श्वनाथ स्वामी की मूर्ति विराजमान थी। इस मूर्ति को गाँव वाले ‘सोफा बाबा' कहते हैं जैसा कि 'सहारा इण्डिया' में लिखा है । अनुमान लगाया जा सकता है, सोफा शब्द सूफ-सूप-स्तूप से बना होगा । यही वह स्तूप होगा जो भगवान पुष्पदन्त के दीक्षा कल्याणक अथवा केवलज्ञान कल्याणक स्थल पर बना .. होगा। ११. निष्कर्ष - नवम तीर्थंकर पुष्पदन्त स्वामी की दीक्षा एवं उनका निर्वाण 'ककुभवन' में हुआ था । कालान्तर में यहाँ ग्राम बस गया और तीर्थ के रूप में इसकी प्रतिष्ठा हो गई । इस ग्राम में प्राचीन काल से ही जैन यात्री आते होंगे। यह ग्राम काकन्दी नगर के पास एवं वैशाली से श्रावस्ती जाने वाले प्रमुख मार्ग पर था । यहाँ जैन मंदिरों का निर्माण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004156
Book TitleKahau Stambh evam Kshetriya Puratattv ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyendra Mohan Jain
PublisherIdrani Jain
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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