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कहाऊँ स्तम्भ एवं क्षेत्रीय पुरातत्व की खोज २१ तोड़कर नहीं गिराई ऐसा युक्तिसंगत नहीं है । पुन: जैन कला में पशु तीर्थंकर के चरणों में प्रदर्शित होते हैं । चौमुखी प्रतिमा के ऊपर पशु का होना युक्तिसंगत नहीं है।
__ फ्लीट का कहना है कि स्तंभ के ऊपर अटारी या बुर्ज होगा जबकि डॉ० फ्रांसिस बुकनान कहते हैं कि स्तंभ के ऊपर खूटे की ही धातु का कोई भाग सुशोभित होगा । पुनः श्री परमेश्वरी लाल गुप्ता का शिलालेख का जो अनुवाद परिशिष्ट-१३, पर है उसमें लिखा है 'स्तम्भ जो हिमालय की चोटी की तरह दिखाई देता है । यहाँ चोटी से तात्पर्य शिखर से ही हो सकता है । चोटी शेर अथवा किसी अन्य चिह्न में नहीं बन सकती । इन दोनों राय को अनुश्रुति से जोड़ें तो स्तम्भ के ऊपर धातु का
आमलक एवं कलश बना होगा जो सोने का होगा या उस पर सोने का पतरा चढ़ा होगा। इस प्रकार के स्तम्भ की फोटो ‘भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ', १ चित्र ६७ पर है जिसमें इसी प्रकार खड्गासन मूर्तियों के चौमुखे के ठीक ऊपर आमलक एवं कलश दिखाया गया है । इस फोटो में दर्शाया गया स्तम्भ देवगढ़ में है । इस फोटो की प्रति परिशिष्ट-१५ पर है।
इस फोटो में आमलक एवं कलश पाषाण में बनाया गया है । मद्र ने 'कहाऊँ के इस स्तम्भ में यह धातु का बना कर सोने का पतरा चढ़ाया होगा। इस धातु के बर्तन के अन्दर चूने इत्यादि का मसाला लगा होगा एवं इस सबको रोकने हेतु यह खूटी लगी होगी । स्तम्भ के चौमुखे की चौड़ाई एवं देवगढ़ के स्तम्भ के चौमुखे की चौड़ाई का अनुपात देख कर कलश की ऊँचाई इसी अनुपात से निकालें तो लगता है कि सबसे उपर ४.१/२ इंच ऊँचाई में आमलक होगा व लगभग १.१/२ फुट ऊँचाई के कलश के तीन बर्तन होंगे । जनस्ल कनिंघम ने इस खूटे के सहारे लगे हुए प्रतीक की ऊँचाई २.१/२ या ३ फीट से कम बताई है परन्तु उपरोक्त देवगढ़ के उदाहरण से यह माप केवल दो फुट ही उचित लगती है।
. उपरोक्त विवेचन से इस खूटे पर कलश होने की सम्भावना ही प्रबल होती है। उपरोक्त जनश्रुति के आधार पर बराबर के बंद कुयें को खोद कर देखना भी उचित है। अब स्तम्भ के शीर्ष पर कलश निर्माण करने की सम्भावना को भी खोजा जाना चाहिये।
९. स्तम्भ के निर्माता डॉ० बुकनान के अनुसार कुछ लोग इसे परशुराम द्वारा निर्मित एवं कुछ भीम द्वारा निर्मित बताते हैं । कुछ लोग इसे लठ कहते हैं । कुछ कहते हैं कि कुछ भी ज्ञात नहीं है कि किसने इसे बनाया । विशालकाय एक पत्थर बाहर से लाकर खड़ा करना बड़ा महान हिम्मत का कार्य है । इस कारण परशुराम जो भारत में महान योद्धा माने
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