________________
चित्रमय झांकी
CAT
संगोष्ठी में उपस्थित विद्वानों को वक्तव्य देते प.पू. आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी मुनिराज
रापटायावद्वत सगाष्ठा
0014 -वर pm
संगोष्ठी के अवसर पर पुस्तक का विमोचन करते विद्वतजन
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org