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15. भारतभूमि यंत्रों की नहीं मंत्रों - निर्ग्रथों की प्रचारक है 16. रोटी-योगी और पूड़ी-भोगी में अन्तर 17. साधु-असाधु की परिभाषा 18. वृद्धों का माहात्म्य 19. जिनगुण सम्पत्ति होदु मज्झं 20. चतुर्विध कथायें एवं आत्मानुशासन 21. प्राप्ति - लाभान्तराय कर्म के क्षयोपशमानुसार ही 22. वस्तु व्यवस्था में निमित्त – नैमित्तिक सम्बन्ध ... . 23. आठ अंगुल से विश्व विजय 24. आराध्य के प्रति ऐक्य दृष्टि 25. पर उपदेश कुशल बहुतेरे 26. मुनियों के चित्र सच्चरित्र के हैं 27. मुनियों के छह काल / समय 28. जिनशासन में साधु भगवान है। 29. श्रमणों का वात्सल्य 30. वैय्यावृत्ति कैसे करें। 31. वस्तु व्यवस्था में स्याद्वाद-नयविवक्षा 32. कर्म सिद्धान्त प्रबल-अटल है। 33. स्वयं कृत पुण्य-पाप भोक्तव्य होता है 34. पाप को पाप मान लें तो पाप निवृत्ति 35. प्रमाद परिभाषा 36. भव्य-अभव्य दूरानुदूर भव्य का सोदाहरण स्वरूप 37. वक्ता के 3 भेद व आगम लक्षण 38. श्रावक के कर्तव्य अभिषेक के भेदादि 39. परम सत्यार्थ दशा प्ररूपणा 40. आचार्य शांतिसागर जी के संरक्षण में आ० आदिसागर की समाधि 41. मुक्ति प्राप्ति का अंतरंग - बहिरंग उपाय 42. यथा मति तथा गति/यथागति तथा मति 43. सदाचरण धर्माचरण से गृहों में सुख शांति 44.शिष्य - सेवक में अन्तर (244
-स्वरूप देशना विमर्श
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