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के दो भेद हैं- परमाणु और स्कन्ध । परमाणु- पुद्गल की सूक्ष्मतम इकाई परमाणु है। यह पुद्गल की स्वाभाविक अवस्था है तथा अविभाज्य और अंतिम अंश है। इसके बाद इसका और कोई विभाग या टुकड़ा नहीं किया जा सकता है। जैसे किसी बिन्दु का कोई ओर-छोर नहीं होता वैसे ही परमाणु का कोई आदि और अन्त बिन्दु नहीं है। इसका आदि मध्य
और अन्त स्वयं है। स्कन्ध- अनेक परमाणुओं के योग से बनी पुद्गल परमाणुओं की संयुक्त पर्याय स्कन्ध कहलाती है। दो अणुओं वाले स्कन्ध तो परमाणुओं के योग से ही बनते हैं। किन्तु तीन अणु आदि वाले स्कन्ध परमाणुओं और स्कन्ध और स्कन्धों के योग से भी बनते हैं, हमारे दृष्टि पथ में आने वाले समस्त पदार्थ पौद्गलिक स्कन्ध ही हैं। स्कन्ध दो तीन संख्यात असंख्यात और अनन्त परमाणुओं वाला होता है। पुद्गल की पर्याय- शब्द, बन्ध, सूक्ष्मता, स्थूलता, संस्थान, भेद, अंधकार, छाया, आतप और उद्योत आदि पुद्गल द्रव्य की पर्यायें हैं। शब्द-एक स्कन्ध के साथ दूसरे स्कन्ध के टकराने से जो ध्वनि उत्पन्न होती है वह शब्द है। शब्द कर्ण या श्रोतेन्द्रिय का विषय है। आचार्य श्री स्वरूप देशना में लिखते हैं भगवान् नेमिचन्द्र स्वामी जी कह रहे हैं शब्द पुद्गल की पर्याय हैं। शब्द आकाश का धर्म नहीं,शब्द आत्मा की पर्याय नहीं है और शब्द आकाश की पर्याय नहीं है।जो कुछ सृष्टि की रचना है, जो कुछ बाह्य में दिख रहा है वह सब शब्द रूप है तो शब्द पुद्गल की पर्याय है। चाहे हिन्दी व्याकरण हो, शाकटायन हो या जैनेन्द्र व्याकरण हो वे सब जड़ शब्दों का व्याख्यान करने वाली हैं। चैतन्य का व्याख्यान करने वाली कोई व्याकरण नहीं है। एक भी व्याकरण आत्मा का वर्णन नहीं करती, जो शब्द हैं वे शब्द हैं। पुद्गल की पर्याय है, आत्मा की पर्याय नहीं है। बन्ध- बन्ध शब्द का अर्थ है बंधना, जुड़ना, मिलना, संयुक्त होना । दो या दो से अधिक परमाणुओं का बंध हो सकता है और दो या दो से अधिक स्कन्धों का भी इसी प्रकार एक या एक से अधिक परमाणुओं का या एक से अधिक स्कन्धों के साथ भी बन्ध होता है। सूक्ष्मता- सूक्ष्मता भी पुद्गल की पर्याय है। इनकी उत्पत्ति पुद्गल से ही होती है। सूक्ष्मता दो प्रकार की होती है। अन्त्य सूक्ष्मता और आपेक्षिक सूक्ष्मता अन्त्य सूक्ष्मता परमाणुओं में ही पायी जाती है और आपेक्षिक सूक्ष्मता दो छोटी बड़ी वस्तुओं में पायी जाती है। जैसे- बेल आंवला और बेर में आपेक्षिक सूक्ष्मता।
-स्वरूप देशना विमर्श
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