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आगम
(३९)
“महानिशीथ" - छेदसूत्र-६ (मूल) अध्ययन [५], ------------ उद्देशक -, ---- मूलं [१५] +गाथा:||१२२...|| -----
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [३९], छेदसूत्र - [६] "महानिशीथ" मूलं
प्रत
[१५]
गाथा ||१२२||
कहापरिणीए जेणं भत्ताहापदिनीए जे नेणगकहापरिणीए जेणं रायकहापहिणीए जे जणक्यकहापडिणीए जे गं अचंतमणुकंपसीले जे परलोगपचचापभीरू जे जे कुसीलपडिजीए जेणं विनायसमयसम्भावे जेणे/31 गहियसमयपेयान्डे जे गं जहन्निसाणुसमयं ठिए खंनादिअहिंसालक्खाइसबिहे समगधम्मे जे गं उजुत्ते अहाखिसाणुसमयं दुवालसबिहे नबोकम्मे जेणं मुउपउने समयं पंचसमिईस जे मुगुने सब तीसु गुत्तीमुंजेणं आराहगेट ससनीए अट्ठारसह सीलंगसहस्साणं जेणं अपिराहगे एगंतेणं ससनीए सत्तरसहिस्सगं संजमस्स जेणं उस्तम्गाई जे गं बनाई जे गं समसनुमेनपक्से जे सत्तभयट्ठाणविषमुके जे णं अहमयडामविषजढे जेणं नवाई चमचेरानीपं चिराहणामी जेणं पहमए जे ण आयरियकुलम जे अदीणे जेणे अकिविणे जेणं अणाससिए जेणं संजाईचगम्स पडिवस्वे जेणं सययं धम्मोवएसदायगे जे सययं ओहसामाचारीए परूपमे जेणं मेरा-- बहिए जेणं असामायारीभीम जेणं आलोपगारिहपावनितनवाणपबच्छगरसमे जे गं बंदणमंडलिचिराहणाजागगे जेणे पटिकमधमंडलिविराहणजागगे जेणं सज्झायमंडलिविराहणजागगे जेणं वत्स्वाणमंडसिविराहणजागगे जे जालोयणामंडल्लिचिराहणजाणगे जेणं उडेसमंडल्लिविराहणजाणगे जे गं समुदेसमंडल्लिविराहणजाणगे जेणे पानापिराहणजाणगे जेणं उबढ़ावणाविराहणाजामगे जेणं उद्देससमुहेसाणुचाविराहणजाणगे जे शंकालक्खे.
नाभावभावतरंतरपियाणगे जेणं कारखेनदवभावानंबणविण्यमुके जेणं सबालवृहदगिलाणसे हसिस्वगसाहम्मिगजाहावणकुसले जेणं परूमगे नाणदसणधारिततोगुणार्ण जेवरए धरए पभावगे नाणदसणचरित्ननपोगुणार्ण प्राजेपदसम्मले जेणं सययं अपरिसाई जे पीइम जे गंभीर जण ससामसे जेण दिणयरमिच अगनिभवणीए नवतेएवं जे ण ससरोवरमेऽपि उकापसमारंभविषजी जेणं तवसीलदाणभाषणामयचविहपम्मतरायभीक
जेणं सवासायणामी जेब इडिटरसमायागावरोहमाणविष्यमके जेणं समापस्सगमुजने जे ग सविसेसन्टबिजने जेणे आचडियापिडियामनियोचि गायरेजा अपजे जे नो पनिहो जे गं नो भोई जे गं समासा
साक्षायझणपडिमाभिग्गइपोरपरीसहोपसम्गेम जिवपरीसमे जे गं मुपनसंगहसीले जेणं अपत्तपरिहापणचिहिजे ण अग:(द)यबोंदी जेणं परसमयसतमयसम्मवियागगे जेण कोहमाणमायालोमममकारादितिहा। K लेकंदापणाहवायविषमुके थम्मनही संसारबासचिसयाभिलासादीण बेरगप्पायगे परिवोहगे भासत्ताणं से गं गच्छनिक्लेवणजोगे से गं गणी से गं गणहरे से गं तिल्के से णं तिस्थयरे से ग अरहा से णं केवटी से ण जिणे
से निन्थुम्भासगे से णं बद से ण पुजे सेणं नमसमिजे लेणं इथे सेणं परमपपिने से गं परमकावणे से णं परममंगले से सिद्धी से णं मनी से णं सिये से गं मोक्से से गं नाया से णं समग्गे सेणं गती से गं सरने से णंसिदे मने पारमए देवे देवदेवे, एयम्स णं गोयमा ! गणनिस्वेवं कुजाएवस्स गणनिस्व कारखेजा एवम्स से गणनिक्वेवकरण समाजाणेजा, अबहाणं गोयमा! आणाभंगे।१५/से भय केवइयं कालं जाय एस आणा पवे-4 हया' गोयमा! जाच मं महायले महासते महाणुभागे सिरियमे अणगारे से भगवं! केपडएर्ण कालेणं सिरिपने अणगारे मवेजा, गोयमा होही दुरंतपत्तलक्सणे अवसे रोहे चंडे पर्यटे उमापयंउटे निम्मेरे निकिचे निम्धिणे निनिस फरयरपारमई अणारिए मिडदिट्टी की नाम रायाण. सण पाचे पाहुडियं ममाटिउकामे सिरिसमणसंप कयरवेजा, जापणं कपत्थेइ नाच गं गोयमा! जे केई सत्य सीलड्ढे महाणुभागे अचलियसने तपोहणे अणयारे तेसिंच पाटिहेरियं कुजा सोहम्मे कुसिलपानी एरावणगामी सुखरिद एवं च मोयमा देविनचदिए दिपबएन सिरिसमणसंधे मिहिजाग गए पासंड्यामे, जान गंगोयमा! एगे अचिजे अहिंसालसणवंतादिवसविहे धम्म एगे अरहा देवाहिदेवे एग जिगालए एगे व पूए दक्से सकार सम्माणे महायसे महासते महाणुमागे दडसीलायनियमचारए नपाहगे साह. नस्य गं वदमिष सोमरेमे मुरिए पनपनयरासी पुढपी इव परीसहोवसग्गरहे। मेरमंदरचरे च निष्पर्कपे ठिए अहिंसालक्खणलतादिदसहि धम्मे, से में मुसमणगणपरिचुरे निरम्भगपचामलकोमुईजोगजुने इस महरिसलपस्थिरिए महबई बंद अहियवरं चिराइजा, गोषमा! सेण सिरिपने अणगारे, तो गोयमा: एपनियं कालं जाप एसा आमा पोइया ।१६। से भय: उइदं पुष्ठा, गोयमा ! तजो परेण उपद हायमाणे कालसमए, नस्य णं जे कई कायसमारंभपिपजी से णं घने पुन्ने पदि पुए नमसणिजे मुजीवियं जीवियं नेसि।१७से भया ! सामन्ने पुच्छा जाचणं यासी. गोयमा अत्यगेजे जोगे अत्यगे जेनो जोंगे, से भयर ! केव जण एन बुबह जहाणं अत्यगे जानजेमं नो जोगे?. गोयमा! अत्यगे जेसि णं सामने पतिकुहे भागे। जेति वर्ग सामन्ने नो पटिकुहे. एएणं अटेणं एवं युगइ-महार्ण अन्धगे जेणं जोगे अत्येगे जेणं नो जोगे, से नवर्ष कयरे ते जेसिपं सामने पडिकडे, कयरे पाते जेसिंचणं सामने नो पडिकुडे?.एएणं अद्वेग एवं पुबहजहा अत्यगे जे गं विकडे अन्धेगे जेनी विरुदे.जे ण से विरुदे से र्ण पडिसेहिए.जेणं से णो विरूद से नो पडिसेहिए. से भय केणं से विस्वे के या गं अनिष्?. गोयमा! जेजेस देसेसुं दुगुंडणि जे जेमु देसे, दुगंलिए जे जेसु देसमुं पडिकुटे से गं नेसु देसमुं विरहे, जे य णं जेसुं दसेसु णो दुगुंडगिजेजे य णं जेसु देसेसु नो दुछिए जेवण जेसु देसमु णी पडिकुट्टे से ण नेसुं देसेस नो विरुदे, गन्य गोयमा ! जे जेसुंरदेसमु पिकडे से पण नो पाए जे गं जेमु२ देसे णो पिरब से गं पाए.से भय से कत्था देसे के चिमटे के बाणो विख्ने, गोयमा जे केई परिसइबा इथिएह बारागेण वा दोसेण वा अणुसएणया कोहेण वा सोभेण वा अवराहेण वा समणं वा माहगं ना मायरं वा पिपरं पा भायरं वा भनि भाइयं वा सुयं वा सुयसुयं वा यूयं पाणनुयं वा सुई वा सामाउयं वा दाइयं वा गोनियं वा सजाइयं वा विजाइयं वा सयर्ग वा असयणं वा संबंपियं वा असंयं. धियं वा समाह वा जसणाई या इढिमंत पा अपिहिमनं वा सएसियं वा पिएसिय पा आरियं वा अणारियं पाहगेज या हणावेज पा उहरिज या उड्यापिज वाले गं परियाए अओगे, सेणं पाये से गं निदिए से गंगरहिए ला से छिए से णं पटिकुढे से गं पटिसेहिए से थे आचई से ण विधे से अबसे से णं अफित्ती से गं उम्ममो से अणायारे. एवं राबडो एवं तेणे, एवं परजुवापसत्ते, एवं अभयरे वा केई सणाभिभूए, एवं आसफिलिडे
एवं छहाणडिए एवं रिणोपहुए अविनायजाइकुलसीलसहापे एवं बहुचाहिवेवणापरिमयसरीरे एवं रतलोलुए एवं बहुनिदे एवं इतिहासाखेहडकंदप्पणाहकायकजारिसीले एवं बहुकोले एवं बहुपसको जायण मिच्छादिडिपति 11 ११५३ महानिनीयच्छेदमूर्वम -
मुनि दीपानसागर
दीप अनुक्रम [८२१]
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