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________________ आगम (३७) “दशाश्रुतस्कन्ध” - छेदसूत्र-४ (मूलं) ---------- दशा [६] --------- मूलं [१८] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३७], छेदसूत्र - [४] "दशाश्रुतस्कन्ध" मूलं श प्रत PATRAMATTERESPEAK सूत्राक [१८] दीप अनुक्रम असार सानो पाणावाचाओ अप्पडिविस्था जापजीपाए एवं जाच साओ कोहामओ सवालो माणाओ सबाओ मायाओ साओ लोमानो सञ्चाओ पेजाओ दोसाओ करडाओAN अनक्साचाओ पेचाओ परपरिवाराओ अरतिरतीओ समाओ मायामोसाओ बिच्छालणसालो बप्पडिवित्या जावजीवाए समाज कसायदंग(1) कहानगम्भंगणवणयम-18 क्लेिषणसरिसरसकवर्गवमाछालंकाराओ अन्यडिविया जावजीचाए सबानो सगढरहजामजुम्मागिलिपिसिसीयासंदमानियासपगासमयागाइसमोपणपवित्परविधीतो अप-14 दिविया जावजीचाए असमिक्खियकारी सधामो मासहत्यिगोपहिसगवेलपदासीदासकम्मरपुरिसाजी अप्पटिपिरया जारजीचाए साली कमरिकामासदमासकरसंचाराओं अपडिपिश्या जावजीचाए सत्राओ हिरणपनवनधण्णमणिमुत्तियसलसिटप्पचासओ अपरिचिरवा जावजीचाए समाओकलतलनमानाओ अपरिविश्या समाओ आरंभामा माओ अपडिपिस्या समाओं पयणपयापणाओं अपरिचिरया समात्र करणकारावणाओ अपडिविरवा समाजो कुलपिहातजणनाइयपरिकिटेसानो अप्पडिविरया जाय-14 जीचाए जे वाचण्णे बणगारा साक्ना अबोहिया कम्मवा परमाणपारिवाषणकदा कति तोवि अप्पडिविस्था जायजीवाए से जहानामए के रिसे कलमसूरनिलमुम्गमासनिष्पाप कुलत्यादिसंरगजपएपमादीहि अपते कूरे मिच्छादं पठेजा एवामेच सहप्पगारे परिसजाए तितिरबगलागकपोतकपिंजलमिगमहिसवाहगोगोहरुमसरीसिपाइएहि अपने पूरे 15 सामिषा पांजति, जाऽपिय से पाहिरिया परिसा भवति तक दाति वा पेसेति ना मतएतिया भाति वा कम्मरएतिया भोगपुरिनिवासिपियर्ष अगायरससि जहालसर्यसि अपराहसि सपमेष गमय बह निपतित-इम डेह इम मुंह इम कजेह इस सालेह इम तुसंवर्ग कोह इमं नियलसंघर्ष म हरिचर्ण इम चारगर्मपर्ण इमं नियलजुयलसंकनियमोडितयं हम इत्याच्छिनइम पारमियम कण्णाच्किइम नरिक्ष इर्म ओयिक सीसभासदमे मुखभिणयं हम पड्यभटीयं दम हिवउपादिय एवं नवण-2 | बसणायग इमं जिम्भुपादियं करेह इस ओलविषयं इस सिषयं इमं पोलितयं इमं मूलाइयं इन मूलाभिष्ण इमं सारवत्तिय इमं दम्भपत्तिय इम सीरपुष्टिय इम पसमथिायी इम कड(बन)गिवड्दर्य इम काफणिमंसलातिय इम भत्तपागनिरुवर्य करेह जायजीपवर्ण कोहर्म असतीण असुमेण कुमारेण मारेह, जाऽविष से अभिनरिया परिव मति [सं०- मातानिया पिताति वा भाचाइ वा महणीति वा भजाति वा पूवानिया सुपाति वा लेसिपिय जायरंसि अहालसर्गसि अपराईसि सयमेव गस्य दई निातेति ०-सीतोदग-18 PI पिईसि काय बोलिला भवति उसिणोदगवियोण कार्य जोसिंचिता भतिजमणिकाएणकार्य उपहिया भवति जोनेणावेण वा नेण कसेगा शिवाडीए चाललाएगा पासाई उरालेता मनति टेण वाजहीणवा मुहीम चालेलणाचा कालेग वा कार्य आडहिला भवति, तहपगारे पुरिसनार सनसमाणे दुम्मणे भवति, तहषगारे पुरिमजाले विग्यपसमागे सुमणा भवति, वहपगारे दंडपासी (सई) दंडगुगए दंदपुरमाडे अहिए अस्ति लोयंसि अहिए परसि लोगसि ते बुक्सति सोयति एवं जरति तिप्पति पिहति परितपति, एस. मसोवजूरणविणणपित्रणपरितप्पणववर्षपपरिकिलेसाजी अप्पतिक्रिया मति, एपमेन इरिथकामेहि मुठिया गदिया गिदा अमोषणा जाप वासाई पापंचमाई उसमाणि वा अन्यतरंबा मुजतरंबा काल भुजित्ता भोगमोगाई पसाविता रायतमाई सचिणिता बहुगाई पाबाई कम्बाई ओसगं संभारकडेण कम्मुगा से जहानामए अपनोलेनिया सेलगोलेति वा उदयसि परिखते समाणे उदगालमइयत्ता आहेचरणितलपतिहाणे भवति एवामेव बहणगारे पुरिसजाए बमबहुले पुण्य पंकन दभ० नियडिजासायणक (असाय०) अपस अप्पनिय ओस सपाचपाती कालमासे फार्म किया धरणितलमातिपतित्ता अहेनरगतलपतिद्वाणे भवति, ते नरमा अंतो वहा बाहिं पठसा अहे सुपारतामसहिया नियंगारतमसा वायगहासूरनक्वत्तजोइसणहा मेदवसामंसकहिलूपपडलविवालित्तानेवणकला असुई बीसा परमम्भिधा काउपनगगिवन्नाभा कक्षाफासा दुरहियासा भरणा असमा भरणा असभा नरगेम वेदना नो पे नरएस नेहया निहायति वा पयलायति वा सुति वा रति वा धिति वा मति वा उपलमंति, ते तस्य उमा विजल पगार कास कार्य रोई एक्लबह नित्र तिवं लिय रहिवास नगएम नेखया नायवेवर्ण पवणुमयमाणा विरति, से जहानामए काले सिया पचनमो जाए मूलचिलो अमोगाए जतो नि जतो दा जतो रिसमं नो पानि एवामेषहप्पगारे परिसजाए माओार्म जम्मानो जम्ममरणाओं मरण शुक्लाजो एक्सं दाहिणमामिए नेहए कहपक्लिए 13 आगमिक्सान रामबोधिते पानि भवति, सेतं अकिरियाचाची १८ मे कित किरियाचादी १.२ मवति त-आहियवादी आहियपग्गे आहियविही सम्माचाई नियाचाई संतिपरलो. यषादी अस्थि इहलोए अस्थि परलोए अस्थि पिया अस्थि माता अस्थि अरिहंता अस्थि चकवही अस्थि पळदेवा अस्थि वासुदेवा अस्थि सुकादुकढाणं कम्माचं फलवितिषिसेसे सुषिमा शाकमा सुचिमाला मति चिच्या कम्मा दुविधापता मति सफले तागपाचए पञ्चायति जीचा अत्यि मेराया अस्थि देना अस्थि सिडी से एवंवावी एवंपरी एकविही एक रा. ९८ दशातस्कंधयोदमूर्ष वसा-5 मुनिपरलसागर [३५]] ~7~
SR No.004137
Book TitleAagam 37 DASHAA SHRUTSKANDH Moolam ev
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages17
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashashrutaskandh
File Size5 MB
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