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________________ आगम (०६) “ज्ञाताधर्मकथा” - अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [२], --------- वर्ग: [८] --------- अध्ययनं [१-४] --------- मूलं [१५६] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०६], अंग सूत्र - [६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: पज्जुवासति, सेणं कालेणं २ चंदप्पभा देवी चंदप्पभसि विमाणसि चंदप्पभंसि सीहासणंसि सेसं जहा कालीए, णवरं पुत्वभवे महुराए णयरीए भंटिवडेंसए उजाणे चंदप्पभे गाहावती चंदसिरी भारिया चंदप्पभा दारिया चंदस्स अग्गमहिसी ठिती अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहि अन्भहियं सेसं जहा कालीए, एवं सेसाओवि महुराए णयरीए मायापियरोवि धूयासरिसणामा, अट्ठमो वग्गो समत्सो। (सूत्रं १५६) णवमस्स उक्खेवओ, एवं खस्लु जंबू ! जाव अट्ट अज्झयणा पं०, तं०-पषमा सिवा सती अंजू रोहिणी णवमिया अचला अच्छरा, पहमज्झयणस्स उक्खेवओ, एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ, तेणं कालेणं २ पउमावई देवी सोहम्मे कप्पे पउमवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए पउमंसि सीहासणंसि जहा कालीए एवं अढवि अज्मयणा कालीगमएणं नायवा, णवरं सावत्थीए दो जणीओ हथिणाउरे दो जणीओ कंपिल्लपुरे दो जणीओ सागेयनयरे दो जणीओ पउमे पियरो विजया मायराओ सबाओऽवि पासस्स अंतिए पदतियाओ सक्करस अग्गमहिसीओ ठिई सत्त पलिओवमाईमहाविदेहे वासे अंतं काहिंति ।णवमो वग्गो समत्तो (सूत्र १५७) दसमस्स उक्खेवओ, एवं खलु जंबू! जाव अट्ठ अज्झयणा पं०, तं०-कण्हा य कण्हराती रामा तह रामरक्खिया बसू या । वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा चैव ईसाणे॥१॥ पढमज्झयणस्स उक्खेवओ, एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुबासति, ~508~
SR No.004106
Book TitleAagam 06 GYATA DHARM KATHA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages512
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size109 MB
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