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आगम (०६)
“ज्ञाताधर्मकथा” - अंगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१] --------------- अध्ययनं [८], ----------------- मूलं [६४] + गाथा: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०६], अंग सूत्र - [०६] "ज्ञाताधर्मकथा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत
शाताधर्मकथाङ्गम्.
मल्लीज्ञाते मल्लीजिनपूर्वभवः
सुत्राक
[६४]
॥१२२॥
गाथा:
ब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुट्टागं सीहनिकीलियं तवोकम्मं उपसंपजित्ताणं विहरंति, तं०-घउत्थं करेंति २ सबकामगुणियं पारंति २ छटुं करत्ति २ चउत्थं करेंति २ अट्ठमं करेंति २ छटुं करेंति २ दसमं करेंति २ अट्ठमं करेंति २ दुवालसमं करेंति २ दसमं करेंति २ चाउद्दसमं करेंति २ दुवालसमं करेंति २ सोलसमं करेंति २ चोइसम करेंति २ अट्ठारसमं करेंति २सोलसमं करेंति २वीसइमं करेंति २ अट्ठारसमं करेंति २ वीसइमं करेंति २ सोलसमं करेंति २ अट्ठारसमं करेंति २ चोद्दसमं करेंति २ सोलसमं करेंति २ दुवालसमं करेंति २ चाउद्दसमं करेंति २ दसमं करेंति २ दुवालसमं करेंति २ अट्ठमं करेंति २ दसमं करेंति २ छटुं करेंति २ अट्ठमं करेंति २ चउत्थं करेंति २ण्टुं करेंति २ चउक० सवत्थ सबकामगुणिएणं पारेंति, एवं खलु एसा खुडागसीहनिक्कीलियस्स तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी छहिं मासहि सत्साह य अहोरत्तेहि य अहामुत्ता जाव आराहिया भवह, तयाणतरं दोचाए परिवाडीए चउत्थं करैति नवरं विगइवज्जं पारति, एवं तचावि परिवाडी नवरं पारणए अलेवार्ड पारेंति, एवं चउत्थावि परिवाडी नवरं पारणए आयंबिलेण पारंति, तए णं ते महन्यलपामोक्खा सत्स अणगारा खुदागं सीहनिकीलियं तवोकम्मं दोहिं संवच्छरेहिं अट्ठावीसाए अहोरत्तेहि अहासुतं जाव आणाए आराहेत्ता जेणेव धेरे भगवंते तेणेव उवागच्छंति २ घेरे भगवंते बंदंति नमसंति २ एवं बयासी-इच्छामो णं भंते। महालयं सीह निक्कीलियं तहेव जहा खुड्डागं नवरं चोत्तीसइमाओ नियत्तए एगाए परिवाडीए कालो
दीप अनुक्रम [७६-८०]
॥१२२॥
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| भगवती मल्ली तिर्थकर-चरित्रं, मल्लिजिनस्य पूर्वभव:, तपस: वर्णनं
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