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________________ किसी स्त्री के घर अकेले न जावें, बालक तथा स्त्री के मुंह न लगें। [१] सदा सहयोग मिलता रहेगा। आपकी शासन सेवा के कार्यों के करने में शासन देव आपको प्रेरणा देते रहे । अन्त में पूज्य दूगड़ जी साहब के लिये हम जितना भी आभार प्रदर्शन करें उतना ही थोड़ा है, उनके कठोर परीश्रम तथा लगन के लिये हम नत मस्तक हैं। उनके सौजन्य तथा तत्परता के लिये हम गद्गद् हैं। उनके कार्य की, जैन साहित्य के प्रसार की भावनाओं की हम कद्र करते हैं। शासनदेव से प्रार्थना करते हैं कि आप शत आयु हों। जिससे जैन शासन की सेवा में आपका सहयोग सदा मिलता रहे । आपका कोटिशः अभिनन्दन करते हुए हम आपके वहुत कृतज्ञ हैं अधिक क्या कहें। जैन बन्धुओं से हमारा नम्र निवेदन है कि आप श्री दूगड़ जी के द्वारा जैन साहित्य के तैयार ग्रंथों के सर्वत्र प्रचार तथा प्रसार के लिए हमारा पूरा-पूरा सहयोग दें। ताकि हम अगले ग्रंथों का भी शीघ्र प्रकाशन कराने के लिये उद्यमशील हो सकें। दिल्ली-३०-११-७३ अध्यक्ष मनोजकुमार जैन पुस्तकों की छपाई का उत्तम प्रबन्ध संस्कृत प्राकृत, हिन्दी भाषा में धार्मिक, सामाजिक एवं अन्य सब प्रकार की पुस्तकों को, भाषा की दृष्टि से शुद्ध धार्मिक परिभाषाओं से परिमार्जित, उत्तम तथा सुन्दर गेटअप, सुन्दर टाइप में प्रकाशित करने का उत्तम प्रबन्ध है। गुजराती भाषा से हिन्दी भाषा में अनुवाद करने की संतोषजनक व्यवस्था है। अशुद्ध भाषा को शुद्ध भी किया जाता है प्रूफ संशोधन की भी सुविधा है । अतः शुद्ध और उत्तम प्रकाशन के लिए नीचे लिखे पते से पत्र व्यवहार करें। .. . पंडित हीरालाल दूगड़ जैन व्यवस्थापक-अोसवाल जैन प्रिंटिंग सेंटर . ५७.अहाता बलवीर मोतीराम रोड ___शाहदरा-दिल्ली-११००३२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004078
Book TitleSwaroday Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1973
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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