________________
जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा परिशिष्ठ-२
__२५३
.
जबूकुमारकीयाहस्त्रीयांने आकयाकही ऐसा करतेोमो मलके मूलपाठने कहा
-- स्त्रीयोंकीकणाओके उत्तरमें जंबूकुमारने पीछी लाठकणाकही।
रिसाकरतेहोसा)सत्रकेमूलपाठ कहा पए लीज कुतारके दायजेमिएएफ सोनेयेलाये कहतेश सोस सलके मूलपाव कला र
चोरupe) एमालोजन स्वाधीके घर चोरी करनेको प्रननालारनवाएं चोरोमा ...
चाहताया और जनमानीसें प्रतिबोधसमारहोकर सनि ।
साहित्य एकरी कहते सारासूनके मनपाठमें कहा जाएगानेनुस्वामासहितपरणकाएकर कहतहो सो भासा
मालक मल्लपावने कहा कि साएरलीजबूरचानी का साथ कास्क मूलपाध्में कहा गरिएताशीजबूस्वामीकानिनीयोछ (परमावधि(रामनःपर्यनार)
किवता)यहतीनज्ञानापुलाक)महारकरपायरुदोलब्धिा जीतपको उपशायदो श्रेणिक जिनकल्परको तीनप्रका रिक संयमरा मुक्ति यस्दश बोल व्यवछेदये कहते सोहि सौ(३२) सूत्रके मूलपाछमें कहा
HOसायी
शालिलपका जीवने पूर्वज मे तपश्वा मुनिकों को खीर का दाहिया कहतेत मोरया मनवा पूलमाह में कहा
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org