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________________ धर्मलाभ पूर्वक लिखने का है कि यहाँ सुखशाता है. । आपका पत्र मिला । समाचार जाने। प्रश्न के उत्तर में जानिये कि चौदह स्वप्न माता को प्रभुजी के गर्भवास के कारण पुण्यबल से आते हैं इसलिए तत्सम्बन्धी वस्तु देव सम्बन्धी ही गिनी जानी चाहिए । भालादि के सम्बन्ध में भी यही बात है । प्रभुजी के दर्शन या भक्ति निमित्त संघ निकलते हैं तब संघ निकालनेवाले संघपति को तीर्थमाला पहनायी जाती थी अर्थात् तीर्थमाला भी प्रभुजी को भक्ति निमित्त हुए कार्य के लिए पहनायी जाती थी; इस कारण उसकी बोली की रकम भी देव का ही द्रव्य गिना जाता है । सब प्रकार की मालाओं के लिए ऐसी ही समझना । तथा सं. १९९० के साल में अहमदाबाद में प्रस्ताव हुआ है । उस प्रस्ताव में इस द्रव्य को देवद्रव्य ही माना गया है । भावनगर श्रावण सुदी ६ लि. आचार्य महाराज श्री विजयप्रतापसूरिजी म. श्री की तरफ से देवगुरु भक्तिकारक सुश्रावक अमीलाल रतिलाल योग्य धर्मलाभ वांचना । . यहाँ धर्मप्रसाद से शान्ति है । आप का पत्र मिला । समाचार जाने । आपने १४ स्वप्न, घोडियां, पारणा तथा उपधान की माला की बोली का घी किस खाते में ले जाना । इसके विषय में मेरे विचार मंगवाये । ऐसे धार्मिक विषय में आपकी जिज्ञासा हेतु प्रसन्नता है । आपके यहाँ चातुर्मास में आचार्यादि साधु है तथा वेरावल में कुछ वर्षों से इस विषय की चर्चाएँ, उपदेश, विचार-विनिमय चलता ही रहता है । मुनिराज इस विषय में दृढ़तापूर्वक घोषणा करते हैं कि वह द्रव्य, देवद्रव्य ही है । वे शास्त्रीय आधार से कहते हैं अपने मन से नहीं । शास्त्र की बात में श्रद्धा रखनेवाले उसे स्वीकार करनेवाले भवभीरु आत्माएँ उनकी बात को उसी रूप में मान लेती है । द. : 'चरणविजयजी का धर्मलाभ' (१२) श्री जैन विद्याशाला, बिजापुर (गुजरात) लि. आचार्य कीर्तिसागरसूरि, महोदयसागरगणि आदि ठाणा ८ की तरफ से श्री वेरावल मध्ये देवगुरु-भक्तिकारक शा. अमीलाल रतिलाल भाई आदि योग्यधर्मलाभपूर्वक लिखना है कि आपका पत्र मिला । पढ़कर और समाचार जानकर धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करे ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004076
Book TitleDharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhwaj Parivar
PublisherDharmdhwaj Parivar
Publication Year2012
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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