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________________ वि० सं० २०५८ माघ शु० १० शुक्रवारे मालपुरा दादाबाड़ी प्रतिष्ठा प्रसङ्गे खरतरगच्छीय सर्व साधु-साध्वी निश्रायाम् अंजनविधि श्रीसंघस्य शुभम् भवतु। (२७५३) जिनकुशलसूरि-मूर्तिः (क) ॥सं० २०५८ फाल्गुन कृ०५ रविवासरे युगप्रधान दादाजिनकुशलगुरुदेव मूर्ति का० खरतरगच्छीय जिनआनंदसागरसूरि जिनउदयसागरसूरि शिष्य गणि पुर्णानंदसागर प्रतिष्ठितं । महत्तरा मनोहरश्री मणिप्रभाश्री सान्निध्ये श्रेष्ठि परिवारे श्रीमती सुंदरदेवी छोगमलजी गोलछा के सुपुत्र विमल निर्मल अनिल सुनील अजय गोलछा नागपुर परिवारेण नागपुर इन्दौरा दादाबाड़ी जिनालय कारयितुश्च ०३.०३.२००२ श्रीसंघस्य शुभम् भवतु। (२७५४) जिनकुशलसूरि-मूर्ति के नीचे (ख) दादागुरुदेव श्रीजिनकुशलसूरिजी की प्रतिष्ठा दिनांक ०३.०३.२००२ हस्ते गणिवर्य पुर्णानंदसागरजी महत्तरा मनोहरश्रीजी एवं साध्वी श्रीमणिप्रभाश्रीजी निश्रा में सौ० प्रेमाबाई जेठमलजी पारख हस्ते रमेशकुमार सुरेशकुमार पारख वि० सं० २०५८ फाल्गुन वदि ५ रविवार। ' (२७५५) विजयशांतिसूरि-मूर्तिः ॥ वि० सं० २०५८ फाल्गुन कृ० ५ रविवासरे विजयशांतिसूरिगुरुमूर्ति खरतरगच्छीय जिनआनंदसागरसूरि जिनउदयसागरसूरि शिष्य गणि पुर्णानंदसागर प्रतिष्ठितं । महत्तरा मनोहरश्री मणिप्रभाश्री सान्निध्ये श्रेष्ठि श्रीनथमल अजितमल किशोरकुमार सुनीलकुमार विपुल राहुल जय सोलंकी कोठारी परिवार ने नागपुर इन्दौरा दादाबाड़ी जिनालय कारयितुश्च ०३.०३.२००२ श्रीसंघस्य शुभम् भवतु। (२७५६) नाकोड़ा-पार्श्वनाथ-परिकरः ॥ सं० २०५९ माघ सु० १३ शनिवासरे श्रीनाकोड़ा-पार्श्वनाथ प्राकृत-भारती-परिसरे श्रीजैन श्वे० नाकोड़ा-पार्श्वनाथ-तीर्थ न्यास निर्मापिते श्रीनाकोड़ा-पार्श्वनाथ-मंदिरे मालवीयनगर जयपुरे न्यास कारितं मूलनायक श्री पार्श्वनाथप्रतिमायाः परिकरस्य प्रतिष्ठा कारिता। खरतरगच्छे श्रीजिनमहोदयसागरसूरि प्रथम शिष्य मुनि मणिरत्नसागरेण । संघस्य कल्याणं भवतु। (२७५७) गौतमस्वामी-मूर्तिः ॥ सं० २०५९ माघ शु० १३ शनिवासरे श्रीनाकोड़ापार्श्वनाथमंदिरप्रतिष्ठायां ओस० ज्ञा० सुराणागोत्रीय श्रीराजमल भार्या उमरावदेवी तयोः आत्मश्रेयसे समस्त सुराणा परिवारेण श्रीगौतमस्वामीप्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता च खरतरगच्छाधिपति श्रीजिनमहोदयसागरसूरेः प्रथम शिष्य मुनि मणिरत्नसागरेण मालवीयनगर जयपुरे। श्री: २७५३. दादाबाड़ी, नागपुर . २७५४. दादाबाड़ी, नागपुर २७५५. दादाबाड़ी, नागपुर २७५६. नाकोड़ा पार्श्वनाथ मंदिर, जयपुर २७५७. नाकोड़ा पार्श्वनाथ मंदिर, जयपुर (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः ४७३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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