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( २५७३ ) जिनकल्याणसूरि-पादुका
श्री सं० १९७२ मि० माघ शुक्ल ९ शनिवारे रंगविजयखरतरगच्छीय जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनकल्याणसूरि-चरणपादुका कारापितं । इंद्रप्रस्थ नगर वास्तव्य समस्त श्रीसंघेन प्रतिष्ठितं जं० यु० प्र० बृ० भ० रंगविजयखरतरगच्छीय श्रीजिनचंद्रसूरिपदाश्रिते भ० श्रीजिनरत्नसूरिभिः पूज्याराधकानां मंगलमाला वृद्धितरां यायात् श्रीसंघस्य शुभं भूयात् ॥ श्री ॥
(२५७४ ) शिलालेखः
(१) ॐ
( २ ) ॥ नमः श्रीवीतरागाय ॥
(३) ॥ श्लोक ॥ आसीत्सूरिपदप्रतिष्ठितरणे : श्रीहेमसूरिप्रभुस्तत्पीठे प्रतिवादिवृन्द(४) भयदो विद्याकलानां निधिः ॥ श्रीसूरीश्वरमूर्द्धवन्दितपदः श्रीसिद्धसूरिगुरुर्ध(५) र्माजोदयत्तारकत्येतिनिपुणो वर्वर्त्ति सर्वोपरि ॥ १ ॥ प्रासादस्य कृतास्य तेन (६) विदुषा माघस्य शुक्ले बुधो त्र्योदश्यां श्रुतिसप्तनन्दकुमिते श्रीविक्रमाब्देऽधुना । (७) सौजन्यातमृतसागरेण जगतां धर्म्मोपकाराय वै श्रीमज्जैनधुरंधरेण कृतिना नूनं (८) प्रतिष्ठानघाः ॥ २ ॥ श्री विक्रम संवत् १९७२ माघ शुक्ल १३ बुधवारके दि(९) न श्री मदरास पत्तन शाहूकार पेठमें श्रीचन्द्रप्रभस्वामी बिम्ब प्रतिष्ठा श्री(१०)मज्जैनाचार्य बृहत्खरतरगच्छीय जं । यु । भट्टार्क श्रीजिनसिद्धसूरिजी । (११)महाराज के करकमलों से समस्त संघ सहित भैरुंबकसजी सुखलालजी । (१२) समदड़िया ने बड़े महोत्सव से कराई । हरषचंद रूपचंदजी ने बिम्ब स्थाप(१३)न किया बादरमलजी ने कलश चढ़ाया और हंसराजजी सागरमलजी (१४) ने ध्वजा आरोपण करी यह मंगल कार्य श्री संघको सर्वदा श्रेयकारी हो ॥ (१५) ॥ हस्ताक्षराणि यति किशोरचन्द्रजी तच्छिष्य मनसाचन्द्रस्य ॥
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(२५७५) दादापादुका युग्म
॥ ६० ॥ सं० । १९७२ (?) का मि फाल्गुनसित पक्षे २ द्वितीयायां तिथौ शुक्रवासरे झझू वास्तव्य समस्त श्रीसंघस्य श्रेयोर्थं श्री उ । सुमतिशेखरगणिभिः प्रतिष्ठितं ॥ दादाजी श्रीजिनदत्तसूरिजी दादाजी श्रीजिनकुशलसूरिजी ॥
( २५७६ ) जिनकुशलसूरिमूर्तिः
॥ श्रीचतुरशीतिगच्छ श्रृंगाहार जंगमयुगप्रधान भट्टारक दादाजी श्री श्रीश्री १००८ श्रीजिनकुशलसूरीश्वराणामियं मूर्तिः श्रीगुरुणीजी श्रीपुण्यश्रीजी के उपदेश से उदयपुर की सुश्राविका कुंवरबाई ने प्रतिष्ठा करवायी पं० प्र० श्रीकेशरमुनिजी गणि के पास ॥ संवत् १९७३ मिति फाल्गुन शुक्ल तृतीयायां शनिवासरे शुभं भवतु ॥
२५७३. छोटे दादाजी का मंदिर, चीराखाना, दिल्ली : पू० जै०, भाग १, लेखांक ५२९ २५७४. चन्द्रप्रभ जिनालय, साहूकार पेठ, मद्रासः पू० जै०, भाग २, लेखांक २०७० २५७५. नेमिनाथ जिनालय, बेगानियों का वास, झज्झू: बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २३२१ २५७६. विजयगच्छीय मंदिर, जयपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६९१
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(खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:
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