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________________ श्रीजिनकुशलसूरिजी के पादुके संवत् १९६४ मिति ज्येष्ठ सुदि २ गुरुवार प्रतिष्ठा समय विद्यमान श्रीतपागच्छ उपाध्याय श्रीवीरविजयजी॥ (२५४०) सहस्त्रफणा-पार्श्वनाथः सं० १९६४ मिति फागुण वदि २ सं० । पा० चांदमल्ल के प्र० वृद्धिचंद्र। (२५४१) शिलालेखः ॥ भ। श्रीजिनकीर्तिसूरि महाराज तत् समये महाराज गंगासिंह राजराजेश्वर । सं० १९६५ मि। चै। सु।५ देशनोक अथूणेवास जीर्णोद्धारः चन्द्रसोममुनिः तच्छिष्य धर्मदत्तमुनेरुपदेशात् कारितः सागरचन्द्रसूरिशाखायां छिला ग्राम वास्तव्य भूरा लक्ष्मीचंद चांदमल उद्यमकारक ताभ्यां कुण्डः कारितः संघ श्रेयोर्थं ॥ हीं॥ ( २५४२ ) जिनकुशलसूरि-पादुका - || संवत् १९६५ वर्षे वैशाख सुदि दशम्यां चन्द्रवारे दादासाहब श्रीजिनकुशलसूरि चरणपादुका स्थापिता श्रीराजनांदगांवनगरे समस्तसंघेन प्रतिष्ठितं मुनि सुमतिसागर.................। (२५४३) जिनदत्तसूरि-पादुका ॥ विक्रम सं० १९६५ शाके १८३० प्र० ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे १२ द्वादश्यां गुरुवारे बृहत्खरतरगच्छे भट्टारक जंगमयुगप्रधान दादाजी महाराज श्रीश्रीश्री १०८ श्रीजिनदत्तसूरिजी महाराज पादुका प्रतिष्ठितं भङग० श्रे० करणमल्ल सावंतमल सुतः॥ प्रतिष्ठितं पं० लालविजयैन॥ (२५४४) जिनकुशलसूरि-पादुका ॥ विक्रम सं० १९६५ शा० १८३० प्र० ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे १२ द्वादश्यां गुरुवारे बृहत्खरतरगच्छे भट्टारक जंगमयुगप्रधान दादाजी महाराज श्रीश्री १०८ श्रीजिनकुशलसूरिजी महाराज पादुका प्रतिष्ठितं भड़गतिया करणमल सावंतमल सुतः॥ प्रतिष्ठितं पं० लालविजयेन॥ __(२५४५) पादुका-त्रय युगप्रधान दादाजी महाराज ॥ श्रीजिनदत्तसूरिजी॥ श्री॥ श्रीअभयदेवसूरिजी॥ श्री॥ श्रीजिनकुशलसूरिजी॥ खरतरजैनाचार्य पादुके श्रीसंघेन कारा० श्रीवीर सं० १४३५ सं० १९६५ मिती जेठ सु। १३॥ श्रीदेशणोक नगरे उ। श्रीमोहनलालगणिः प्रतिष्ठिता स्थापिता च॥ २५४०. पार्श्वनाथ जी का मंदिर, जैसलमेर: ना० बी०, लेखांक २७३५ २५४१. शांतिनाथ जिनालय, भूरों का वास, देशनोक: ना० बी०,लेखांक २२३१ २५४२. पार्श्वनाथ जिनालय, राजनांदगांव: प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६७३ २५४३. दादाबाड़ी, मेड़ता रोड: प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६७६ २५४४. दादाबाड़ी, मेड़तारोडः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६७७ २५४५. दादाबाड़ी, देशनोक: ना० बी०, लेखांक २२५० (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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