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________________ (२) सागरमध्ये महारावलजी श्री १०८ श्रीवैरिसालजी विजयराज्ये कारितं बाफणा गोत्रीयः संघवी श्रीप्रतापचंद्र पुत्रैः हिम(३) तराम जेठमल नथमल्ल सागरमल्ल उमेदमल्लादि सपरिकरैः स्वश्रेयोर्थं संवत् १९३२ वैशाख सुदि १२ (४) सोमे॥ (२४१०) शिलालेखः (१) अत्यद्भुतं सज्जनसिद्धिदायकं भव्यांगिनां (२) मोक्षकरं निरन्तरं जिनालये रङ्गपुरे मनोहरे चं(३) द्रप्रभं नौमि जिनं सनातनं ॥ १॥ संवत् १९ (४) ३२ शाके १७९७ मिति आषाढ़ सुदि ९ चन्द्रवासरे (५) रङ्गपुरे। भ। श्रीजिनहंससूरीजी विजयराज्ये॥ श्री (६) हंसविलास गणि तत्शिष्य श्रीकनकनिधान मुनि(७) रुपदेशेन । श्रीमक्षुदाबाद बालूचर वास्तव्य (८) दूगड़ इन्द्रचन्द्रजी जीर्णोद्धार कारापितं ॥ नाहटा मौ(९) जीरामजी तत्पुत्र नाहटा गुलाबचन्दजी तत्पुत्र इन्द्र- . (१०) चन्द्रजी मारफत श्रीचन्द्रप्रभजिनप्रासादस्य सिषरं (११)नवीन रचिता वेदका नवीन निजद्रव्यै कारापितं ॥ प्रति(१२)ष्ठितं विधिना सतां कल्याणवृद्ध्यर्थम् ॥ १॥ (१३) ॥ मिस्तरी षोलाराम सिलावट लालू मक्सूदका (२४११) सं० १९३३ रा शा० १७९८ प्र० मि० आषाढ़ सुदि ५ दिने महो० श्रीधीरधर्मगणिलिपिन्यासः (२४१२) नवलश्री-पादुका । सं० १९३३ रा मि० आषा। सुदि ७ संवेगी लक्ष्मीश्रीपृष्ठे शि० नवलश्रीचरणस्थापना का (२४१३) पादुका-युगल ॥ सं० १९३३ रा मि। मि। व। ३ तिथौ श्रीकीर्त्तिरत्नसूरिशाखायां पं० प्र० श्रीकल्याणसागरजिन्मुनीनां पा। तच्छि० पं। हितकमल मुनि का। प्र। पं। प्र। श्रीकल्याणसागरजिन्मुनितच्छि। पं। प्र० कीर्तिधर्ममुनीनां चरणन्यासः॥ श्रीरस्तुः २४१०. चन्द्रप्रभ जिनालय, माहीगंज, रंगपुर, उत्तरबंगाल: पू० जै०, भाग २, लेखांक १०१८ २४११. रेलदादाजी के बाहर, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २११६ २४१२. रेलदादाजी के बाहर: ना० बी०, लेखांक २११९ २४१३. शालाओं के लेख, नाल, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २२९६ (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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