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कारापितं पंडित रूपचंद्र उपदेशात् संवत् १९०२ का मिति फागुन वदि ५ चन्द्रवासरे महाराज श्री १०८ श्रीतखतसिंहजी विजयिराज्ये शुभंभवतु
__ (२०७२) जिनचन्द्रसूरि-पादुका ॥ स्वस्ति श्री ॥ संवत् १९०३ रा शाके १७६८ प्रवर्त्तमाने मासोत्तममासे आषाढ़ शुक्ले ८ तिथौ भृगुवारे चित्रानाम नक्षत्रे पं। प्र। श्री १०८ श्रीजिनचन्द्रजिच्चरणौ प्रतिष्ठितौ ॥ श्रीरस्तु॥
__ (२०७३) लालचन्दस्तूप-लेख: ॥ श्रीजिनायनमः॥ १९०३ रा मिति आसोज सुदि ७ श्रीजैसलमेर नगरे राउल श्रीरणजीतसिंहजी विजेराज्ये श्रीखरतरआचारजगच्छे श्रीजिनसागरसूरिशाखायां भ। यु। श्रीजिनहेमसूरिजी विजेराज्ये पं। प्र। श्री १०८ श्रीलालचन्द्रजी गणि पादुकामिदं शिष्यं पं। हर्षचंद्रेण गुरो पादुका धुंभ कारापितमिदं ॥ सही २॥ द। श्रीअमरचंद रा छै ॥ श्री॥ श्री॥ श्री॥
(२०७४) इन्द्रभाण-पादुका श्री १०८ सु इंद्रभाणजी संवत् १९०३ का० सुदि १३।
(२०७५) सुपार्श्वनाथ-पञ्चतीर्थीः संवत् १९०३ माघवदि पांचम अहमदाबाद वास्तव्यः उ० ज्ञा० ब० अनूपचन्द हरखचन्द भार्या दिपालीबाई श्रीसुपारसनाथजिनबिंब कारापितं खरतरगच्छे भ० श्रीजिनमहेन्द्रसूरिभिः प्र० ।
__ (२०७६) शांतिनाथ: संवत् १९०३ वर्षे शालिवाहन १७६८ माह कृष्णा ५ तिथौ भृगुवासरे मुंबईवास्तव्य ओसवाल ज्ञातीय बृहत्शाखायां नाहटागोत्रे सेठ श्रीमोतीचंद तत्पुत्र खेमचंदभाई श्रीशांतिनाथजिनबिंब कारापितं श्रीखरतरपीपलियागच्छे भट्टारक श्रीजिनमहेन्द्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं
(२०७७) नेमिनाथ-पञ्चतीर्थीः संवत् १९०३ वर्षे शाके १७६८ प्रवर्त्तमाने माघमासे कृष्णपक्षे ५ तिथौ। भृगुवासरे श्रीमुंबईबंदरवास्तव्य उस० ज्ञाता। बृद्धशाखाया नाहटागोत्रे सेठ मोतिचंद त। भा। दिवालिबाई त। पुत्र सा० खेमचंदभाई तेन श्रीनेमिनाथपंचतिरथि कारापितं श्रीवृ। खर। पी। गच्छे श्रीजिनमहेन्द्रसूरि राज्ये प्रतिष्ठी।
___ (२०७८ ) मन्दिर-प्रशस्ति-शिलालेखः (१) ॥ एर्द० ॥ श्रीमदर्हते नमः॥ स्वस्ति श्रीमज्जिनं नत्वा ॥ प्रणम्य स्वगुरुं मुदा ॥
श्रीधर्मनाथचैत्यस्य॥ प्रश२०७२. दादाबाड़ी, अजमेर : प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ५२४ २०७३. दादाबाड़ी, जैसलमेर : ना० बी०, लेखांक २८५८ २०७४. पार्श्वनाथ जी का मंदिर, नौहर: ना० बी०, लेखांक २४७५ २०७५. महावीर जिनालय, पायधुनी, मुम्बई : जै० धा० प्र० ले०, लेखांक ३५९ २०७६. मोतीशाह की ट्रॅक, (देहरी नं० ९) शत्रुजय : भंवर० (अप्रका०), लेखांक १ २०७७. मोतीशाह ढूंक, शत्रुजय : श० गि० द०, लेखांक ४६८ २०७८. धर्मनाथ मंदिर, हठीभाई की बाडी, अहमदाबादः प्रा० ० ले० सं०, भाग २, लेखांक ५५६
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(खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः)
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