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________________ (४) च्छे भ। श्रीजिनहर्षसूरिभिः पं० खूबचंद शि(५) ष्य। पं। प्र। जगविशालमुनि उपदेशात् दादा (६) जी श्रीजिनकुशलसूरिश्वर जीर्ण पादुका (७) परि नवीन धुंभशाला कृता श्रीब्रह्मसर ग्रामे (८) ओशवाल समस्त श्रीसंघ सहितेन प्रतिष्ठा कृ(९) ता महारावल श्रीगजसिंहजी वारे तथा सी(१०) यड़ भोजराज श्रीब्रह्मसर कुंडात् पश्चिम दिशे धुं(११) भशाल स्थापना कृता १८९३ गजधर सरूपा (१९४१) शिलालेखः (१) अत्यद्भुतं सज्जनसिद्धिदायकं भव्यांगिना मो(२) क्षकरं निरन्तरं जिनालये रङ्गपुरे मनोहरे चन्द्रप्रभं (३) नौमि जिनं सनातनं ॥ १॥ संवत् १८९३ मि। माघ वदि १ । र(४) वौ श्रीरङ्गपुरे भ। श्रीजिनसौभाग्यसूरिजी विजयी। (५) राज्ये वा। आनन्दवल्लभगणेरुपदेशात् श्रीमक्षुदावा(६) द बालूचर वास्तव्य दू। निहालचंद तत्पुत्र बाबू इन्द्रच० (७) न्द्रेण श्रीचन्द्रप्रभजिनः प्रसादः कागपितः प्रतिष्ठापि(८) तश्च। विधिना ॥ सतां कल्याणवृद्ध्यर्थम्॥ (९) श्रीरस्तुः॥१॥ (१९४२) शिलालेखः ॥ श्री॥ सिद्धचक्राय नमः॥ संवत् १८९३ प्रमिते शाके १७५८ प्रवर्त्तमाने माघ शुक्ल दशम्यां तिथौ बुधवासरे मुंबई बिंदर वास्तव्य ओसवंश वृद्धशाखायां नाहटागोत्रे सेठ अमीचंदजिद्भार्या रूपबाई तत्पुत्र सेठ मोतिचंद्रजिद्भार्या दीवाली बाई तत्कुक्षि समुद्भूत पुत्ररत्न श्रीशत्रुजयतीर्थयात्राविधानसंप्राप्तश्रीसंघपतितिलक नवीनजिनबिंबंप्रतिष्ठा साधर्मीवात्सल्यादिसप्तक्षेत्रे स्ववित्तसफलीकृत संघमुख्य खेमचंद सपरिवारेण समुद्धारित सप्रकार श्रीविमलाचलोपरि मूलोद्धार श्रीआदिनाथ-प्रथमगणधर श्रीपुंडरीकबिंबं कारितं खर० श्री भ। जं। यु। श्रीजिनदेवसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरि विद्यमाने सपरिकरसंयुते भ। जं। यु। श्रीजिनमहेन्द्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं खरतरगच्छे ॥ श्रीरस्तु॥ (१९४३) आदिनाथ-मूलनायकः संवत् १८९३ प्रमितेवर्षे शाके १७५८ प्रवर्त्तमाने मासोत्तममाघमासे शुक्लपक्षे १० दशम्यां बुधवासरे श्रीपादलिप्तनगरे गोहिलवंशे श्रीप्रतापसिंघजी विजयराज्ये। श्रीमुंबईबिंदरवास्तव्य उसवालज्ञातीय वृद्धशाखायां नाहटागोत्रे । सेठ अमीचंदजी भार्या । रूपाबाई तत्पुत्र से० मोतीचंदजी भार्या दीवालीबाई तत्कुक्षिसमुद् १९४१. चन्द्रप्रभ जिनालय, माहीगंज रंगपुर- उत्तर बंगाल : पू० जै०, भाग २, लेखांक १०१७ १९४२. मोतीशाह की ट्रॅक, शत्रुजय : भँवर० (अप्रका०), लेखांक २ १९४३. सेठ मोतीशाह का मंदिर, शत्रुजय : श० गि० द०, लेखांक १६४ (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह: (३३९) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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