________________
(१७९७) चन्द्रप्रभः सं० १८७७ वै० सु० १५ श्रीचंद्रप्रभबिंबं प्र। श्रीजिनहर्षसूरिणा कारितं कुंदनलालेन श्री.....
(१७९८) चन्द्रप्रभः सं० १८७७ वै० सु० १५ श्रीचन्द्रप्रभबिंबं प्र। श्रीजिनहर्षसूरिणां कारितं चंडालिया
(१७९९) ऋषभदेव-पादुका ॥ सं० १८७७ राधराकायां श्रीजिनलाभसूरि शिष्योपाध्याय श्रीहीरधर्मोपदेशेन अयोध्यायां श्री वृषभनाथानां पादन्यास: कारितः ओसवाल । मिरगा जाति सामंतसिंहेन बडेर गोत्रीयेन बीकानेरस्थ पदार्थमल्लेन। प्रतिष्ठितं श्रीजिनहर्षसूरिणा।
(१८००) समवसरणस्थ-अजितनाथ-पादुका ॥सं० १८७७ राधराकायां बृहत्खरतरभट्टारकगणीय पाठक हीरधर्मोपदेशेन जयनगरवासिना ओसवाल ज्ञातौ सेठ गोत्रीय हुकुमचंदजेन। उदयचंदेन अयोध्यायां श्रीअजितसर्वज्ञस्य पादन्यासः कारितः। प्र। श्रीजिनहर्षसूरिणा॥
(१८०१) अभिनन्दन-पादुका ॥ सं० १८७७ राधराकायां खरतरगणीय पाठक हीरधर्मोपदेशेन ओसवाल जातौ सेठ गोत्रीय हुकुमचंदजेन उदयचंदेन जयनगरस्थेन । अवधौ सर्वज्ञाभिनंदन पादाः कारिताः। प्र। जिनहर्षसूरिणा।
(१८०२) सुमतिनाथ-पादुका ॥ सं० १८७७ राधराकायां खरतरगाणीय पाठक हीरधर्मोपदेशेन जयनगर वासिना ओसवाल जातौ सेठ गोत्रीय हुकुमचंदजेन। उदयचंदेन । अयोध्यायां श्रीसुमतिसर्वज्ञपादाः कारिताः प्र। श्रीजिनहर्षसूरिणा।
(१८०३) अनन्तनाथ-पादुका . ॥ सं० १८७७ राधराकायां श्रीबृहत्खरतरगणेश श्रीजिनलाभसूरि शिष्योपाध्याय श्रीहीरधर्मोपदेशेन अवधौ सर्वज्ञानंतपादन्यासः कारितः सेठ उदयचंद प्र। श्रीजिनहर्षसूरिणा॥ १४॥
(१८०४) धर्मनाथ-पादुका संवत् १८७७ राधराकायां श्रीरत्नपुरे श्रीधर्मनाथानां पादाः कारिता: वरढ़ीया बूलचंदज वेणीप्रसाद १७९७. पार्श्वनाथ जी का मंदिर, मधुवन, सम्मेतशिखर : भंवर०; पू० जै० भाग २, लेखांक १८३७ १७९८. पार्श्वनाथ मंदिर, मधुवन, सम्मेतशिखर : भँवर० १७९९. अजितनाथ जिनालय, कटरा, अयोध्याः पू० जै० भाग २, लेखांक १६४९ १८००. अजितनाथ जिनालय, कटरा, अयोध्याः पू० जै० भाग २, लेखांक १६४८ १८०१. अजितनाथ जिनालय, कटरा अयोध्या : पू० जै० भाग २, लेखांक १६५० १८०२. अजितनाथ जिनालय, कटरा, अयोध्या: पू० जै०, भाग २, लेखांक १६५१ १८०३. अजितनाथ जिनालय कटरा, अयोध्या: पू० जै० भाग २, लेखांक १६५२ १८०४. धर्मनाथ जिनालय, रोनाही, रत्नपुरी: पू० जै० भाग २, लेखांक १६६२
(३१८)
(खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org