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(१७०४) सर्वतोभद्र-यंत्रम् श्री सर्वतोभद्राख्य दुरितारिविजययंत्रमिदं का० प्र० च सं० १८६१ मिते ज्येष्ठ सुदि ७ उ० श्री क्षमाकल्याणगणिभिः
(१७०५) शिलापट्ट-लेख: ॥ श्री सिद्धचक्राय नमः श्री करणीजी महाराज ॥ सं० १८६१ मिती माघ सुदि पंचम्यां चन्द्रे श्री देशनोक श्रीसंघेन श्रीपार्श्वनाथदेवगृह कारितं प्रतिष्ठितम् महाराजाधिराज श्रीसूरतसिंह जी विजयिराज्ये बृहत्खरतरगच्छाधीश्वर। भट्टारक। श्री जिनचन्द्रसूरि पट्टालंकार भ० श्री जिनहर्षसूरि धर्मराज्ये प्रतिष्ठिता च उ० श्रीक्षमाकल्याणगणिभिः वा० श्रीकुशलकल्याणगणिनामुपदेशात् चैत्यमिदं समजनि श्रीरस्तु सर्वेषां वा० श्रीलालचन्देन उद्यम कारक।
(१७०६) सिद्धचक्रयंत्रम् सं० १८६१ मि। माघ सुदि पंचम्यां ॥ श्रीसिद्धचक्रयंत्रं । बाफणा श्रीगौडीदासजी पुत्र टिकणमल्लेन कारिता प्र० च उ० श्रीक्षमाकल्याणगणिभिः।
(१७०७) दादापादुका-युग्म ___ श्री जिनदत्तसूरि। श्रीजिनकुशलसूरि ॥
___ (१७०८)............"पादुका :: सं० १८६१ मिते माघ सुद पंचम्यां श्री बीकानेर...............उ० श्री जयमाणिक्य.. विद्याप्रिय कारितः प्रति०
(१७०९)....."पादुका सं० १८६१ मिते माघ सुदि पंचम्यां चन्द्र....................चरण न्यासः कारितं वा। कुशलकल्याण गणिना का।
(१७१०)............."पादुका सं० १८६१ वर्षे चैत्र वदि ६ गुरौ श्री विक्रमपुरे पं० प्र० श्री १०६ श्रीसत्यजी गणिनां पृष्ठे पं० भावविजै पं० ज्ञाननिधानमुनिनापादुका........
१७०४. महावीरस्वामी का मंदिर, डागों में, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक १५४० १७०५. संभवनाथ जिनालय, आंचलियों का वास, देशनोक, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक २२१२ १७०६. सुमतिनाथ-भांडासर जी का मंदिर, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक ११७० १७०७. संभवनाथ जिनालय, आंचलियों का वास, देशनोक, बीकानेर; ना० बी०, लेखांक २२१५ १७०८. रेलदादाजी, शाला नं. १, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २१०२ १७०९. संभवनाथ जी का मंदिर, आंचलियों का वास, देशनोक: ना० बी०, लेखांक २२१६ १७१०. रेलंदादाजी, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक २१०३
(खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:
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