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(१४८८) उदयतिलक-पादुका सं० १७५६ वर्षे श्रावण वदि ५ दिने शुक्रवारे बृहत्खरतरगच्छे भ० श्रीजिनचंद्रसूरिजी शिष्य उपाध्याय श्रीउदयतिलकजी गणिनां देवंगत पहुंता पालीमध्ये।
(१४८९) पञ्चतीर्थीः संवत् १७५८ वर्षे आषाढ़ सुदि १३ । रविवार शुभदिने श्रीबृहत्खरतरगच्छ भट्टारक श्रीजिनराजसूरि। गणे शिष्य...........।
(१४९० ) सामीदास मथेण की छतरी सं० १७६० मिति आषाढ़ सुदि ९ दिने मथेण सामीदास ऊसवाला जीवतछतरी करावतं श्रीबीकानेर मध्ये॥ श्री ॥१॥ कर्त्तव्यं सूत्रधार रामचंद्र ॥ १॥ महाराजा श्रीसुजाणसिंघजी विजयराज्ये श्रीशुभंभवतुः॥
(१४९१) मथेण सामीदासभार्या की छतरी श्रीरामजी। सं० १७५५ मिती वैशाख सुदि ३ मथेण सामीदास ऊसवाला गृहे भार्या देवलोक प्राप्त हुई तेरी छतरी सं० १७६० मिती आषाढ़ सुदि ९ कराई खरतरगच्छे मथेण भारमलरी बेटी नवमीमी देवलोक गतं श्रीबीकानेर मध्ये ॥ १॥ कर्त्तव्यं सूत्रधार रामचंद्र ॥ १॥ महाराज सुजाणसिंह विजयराज्ये।
(१४९२) अजितनाथः संवत् १७६१ वर्षे माघ सुदि ५ गुरु श्रीमालज्ञातीय गुलाबचंद्र पुत्र धनदेव सहित श्रीअजितनाथबिंब प्र० श्रीजिनचंद्रसूरिभिः।
(१४९३)
पादुका सं० १७६२ वर्षे श्रावण वदि...................दिने वाणारसजी कीर्तिसुन्दरगणि तत्शिष्य पं० सामजी पादुका कारापिता
(१४९४) हेमधर्म-पादुका संवत् १७६२ वर्षे मगसिर सुदि पांचिम दिने वा० गजसारगणि तच्छिष्य पं०हेमधर्मगणि पादुके प्रतिष्ठिते श्रेयोभवतु । कल्याणश्री॥
(१४९५) सं० १७६२ मगसिर सुदि १० दिने बृहत्खरतरगच्छे क्षेमशाखायां सत्यरत्नजी शि० कानजी। १४८८. ऋषभदेव जी का मंदिर, नाहटों में बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १४६९ १४८९. जैनमंदिर, ओसियां: पू० जै०, भाग १, लेखांक ८०२ १४९०. गौड़ी पार्श्वनाथ मंदिर के अन्तर्गत सम्मेतशिखर मंदिर, गोगा दरवाजा, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक १९७३ १४९१. मथेरणों की छतरी, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक १९७४ १४९२. चन्द्रप्रभ जिनालय, कोटा : प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ३२२ १४९३. रेलदादाजी, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २०५४ १४९४. शीतलनाथ जी का मंदिर, रिणी, तारानगर : ना० बी०, लेखांक २४६२ १४९५. सुपार्श्वनाथ जिनालय, राजगढ़-शार्दुलपुर : ना० बी०, लेखांक २४३३
(खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः)
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