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________________ (१४०१) मरुदेवी-मूर्तिः सं० १६८६ वर्षे । घेवरपृष्टेऽऽरोहिते श्रीमरुदेवीप्रतिमाकारिता चोपड़ा जयमा श्राविकया प्रतिष्ठिता...................श्रीजिनराजसूरिराजैः (१४०२) पादुकालेखः संवत् १६८६ वर्षे-क--- । प्रवर्त्त---:। श्रीखरतरगच्छे श्रीउपाध्यायरत्नतिलकगणिनां त० शिष्येन श्रीलब्धिसेनगणि श्रीयुगप्रधान श्रीचन्दशाखायां कारापितं उपदेन--गुजु--पाठकस्य---श्री रत्नतिलकगणि प्रतिष्ठितं वा० तब्धिसेनगणि प्रतिष्ठा कृता॥ श्री रस्तु श्रीः॥१॥ (१४०३) पादुकालेखः मूलनायक----राज्ञ सभासन धारकं। ० ० गुर्जर मह- नति-- गोत्रे ---ठ० बेनीदास । तुलसीदासमाणिकदास--कारापितं । श्री---स्यां पादुका श्री--स्य गुरु--श्री जिनलब्धिसेनसूरि कृता॥ यस्यां पादुके बृहत् श्रीखरतरगणा- यं० युग--श्रीयुगप्रधान--श्री जिनचंद्रसूरिशाखायां श्रीउपाध्याय-श्री रत्नतिलक-- तत्पट्टालंकार श्री वाचनाचार्य-लब्धिसेनगणि आदेशेन श्री दलचंद--सरणा बालिड़िवा गोत्रे । नैरवन --ठा० गुजरमल्लेन--श्री रत्नतिलक वा०---त ठा० करेन प्रतिष्ठा पुनमीया--- | (१४०४) जिनचंद्रसूरि-पादुका संवत् १६८६ वर्षे शाके १५५१ प्रवर्त्तमाने----मासि शुक्लपक्षे सप्तमी गुरुवासरे बृहत् श्रीखरतरगच्छे युगप्रधान श्रीजिनचन्द्रसूरिपादुका ठाकुर देवा तस्यात्मज मांडन तस्य भार्यान्हालो पुण्यप्रभाविका तस्य पुत्र दुलिचन्द्रेण प्रतिमा कारापिता श्रीमाहतीयाल (महतियाण) श्रावकेन गुरु दुलिचन्द्र प्रतिष्ठा क० श्री उपाध्याय श्रीरत्नतिलक गणि पादुके प्रतिष्ठितं वा० लब्धिसेन गणि प्रतिष्ठा० । (१४०५) भरत-प्रतिमा ॥ संवत् १६८७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १० भौमे उत्तराफाल्गुन्यां श्रीखरतरगच्छे श्रीभरतचक्रभृतमहामुनिबिंब कारितं समस्त श्रीसंघेन प्रतिष्ठितं श्री (१४०६) भरत-प्रतिमा श्री भरत प्रतिमा कारिता जयमा श्रा० प्रति० श्री जिनराजसूरिभिः॥ (१४०७ ) बाहुबलि-प्रतिमा ॥ संवत् १६८७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १० दिने भौमे उत्तराफाल्गुन्यां महाराजाधिराज श्री सूर्यसिंहजी १४०१. ऋषभदेव जी का मंदिर, नाहटों में, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १४२८ १४०२. जलमंदिर, पावापुरी तीर्थ : पू० जै०, भाग १ लेखांक १९६ १४०३. जलमंदिर, पावापुरी : पू० जै०, भाग १, लेखांक १९७ १४०४. जैनमंदिर, कुण्डलपुर, विहारः पू० जै० भाग १, लेखांक २७२ १४०५. ऋषभदेव जी का मंदिर, नाहटों में, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक १४२६ १४०६. ऋषभदेव जी का मंदिर, नाहटों में, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक १४२९ १४०७. ऋषभदेव जी का मंदिर, नाहटों में, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक १४२७ (२५४) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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