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________________ (१३२३) अभिनन्दनः संवत् १६७५ वैशाख सुदि १३ शुक्रे पातसाहश्रीजारविजयराज्ये श्रीश्रीमालज्ञातीय भतिचा महतरहासनाथ भार्या बाई अजाई तत्पुत्र महेता क्षेमाकेन श्रीअभिनंदनबिंबं श्रीबृहत्खरतरगच्छे भट्टारक ........................ श्रीजिनराजसूरिभिः । (१३२४) धर्मनाथः संवत् १६७५ वर्षे वैशाख सुदि १३ शुक्रे पातसाहश्रीजहांगीरविजयराज्ये ओसवालज्ञातीय श्रीअहमदावादनगरवास्तव्य व्य० भणसाली सोना भार्या बाई मूली पुत्र भणसाली कमलसी भार्या बाई कमलादे पुत्र भणसाली लखराज भार्या बाई वखाई पुत्र भणसाली सइआ धर्मसी बाईवखाई समेत श्रीधर्मनाथबिंबं सपरिकरं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीजिनमाणिक्यसूरिपट्टालंकार दिल्लीपति पातसा ....... ॥ (१३२५) धर्मनाथ-पञ्चतीर्थीः सं० १६७५ वर्षे वैशाख सुदि १३ शुक्रे सांकु (उ) सखा गोत्रे वरसी भा० कनकादे पुत्र . वेन भा० अमृतदे मासालजी . ...... का श्रीधर्मनाथबिंबं प्रतिष्ठितं श्रीजिनराजसूरिभिः श्रीखरतरगच्छे । (१३२६) शांतिनाथ: संवत् १६७५ वैशाख सुदि १३ शुक्रे सूरत्राणनूरदीजहांगीरसवाइविजयीराज्ये श्रीराजनगरवास्तव्य प्राग्वाट्ज्ञातीय शे० देवराज भार्या रूडी, पुत्र शा० गोपाल भार्या राजु पुत्र राजा पुत्र सं० माआ भार्या नाकु पुत्र सं० जोगी भार्या जलदे पुत्र सं० शिवाकेन भार्या विमलदे पुत्र लालजी भार्या मानों पुत्र गोटा प्रमुख परिवार सहितेन श्रीपारगत-पुजासाधर्मिक-वात्सल्य.........क्षेत्रवित्तबीजवपननिरतेन श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीबृहत्खरतरगच्छे दिल्लीपतिपातसाहिश्रीअकबर-प्रदत्त-युगप्रधानविरुदधारक श्रीजिनचंद्रसूरिपट्टोतंस वर्षावधिजलजंतुजातरक्षक-श्रीअकबरशाहिचित्तरंजक-स्ववचनचातुरीरंजित-हिंदुककुलं................ जहांगीरसाहिप्रदत्तयुगप्रधानपदधारक-जिनसिंहसूरिपट्टशृंगारश्रीअंबिकावरोदयकारक भट्टारकश्रीजिनराजसूरिभिः (१३२७) शान्तिनाथ : सं० १६७५ वैशाख सित १३ शुक्रे सुरताणनूरदीनजहांगीरसवाईविजयिराज्ये। श्रीराजनगरवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय से० देवराज भार्या [रू]डी पुत्र से० गोपाल भार्या राजू सुत राजा पुत्र सं० साईआ भार्या नाकू पुत्र सं० नाथा भार्या नारिंगदे पुत्ररत्न सं० सूरजीकेन भार्या सुषमादे पुत्रायित इंद्रजी सहितेन श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीबृहत्खरतर[ग]च्छाधिराज श्रीअकबरपातसाहिभूपाल-प्रदत्तषाण्मासिकाभयदानतत्प्रदत्तयुगप्रधानविरुदधारक सकलदेशाष्टान्हिकामारिप्रवर्तावक युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरिपट्टोद्दीपक १३२३. बाजरिया का देरासर, शत्रुजय: श० गि० द०, लेखांक ७८ १३२४. देहरी क्रमांक ४४८-१, शत्रुजयः श०गि०द०, लेखांक १५८ १३२५. शांतिनाथ का मंदिर, भानीपोल, राधनपुरः रा० प्र० ले० सं०, लेखांक ३७३ १३२६. खरतरवसही के पीछे देवकुलिका, शत्रुजयः श० गि० द०, लेखांक १४३ १३२७. चतुर्मुखप्रासाद, खरतरवसही, शत्रुजय: प्रा० जै० ले० सं०, भाग २, लेखांक २३ (२३६) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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