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________________ jainelibrary.org सम्भवनाथ सं० १४१७ प्रतिष्ठित, सम्भवनाथ मन्दिर, जैसलमेर, लेखांक २८८ मंन्दिर प्रशस्ति नाना पाकला मेन्यू: । तपःकल्प ह क मिधिपतिः पार्थना हो जिनंदः श्रीमंघमितानिप्रमादाशकत्र का (नवद्यःप्राकतिकामा विज्ञान कि बाल या मंगल- श्री फलादाः सुविन द म त मधानी याद करदास तुमावितासति तद शिवकाः स स सर्वतः ॥ . क ना एक लाम मे कुसूमः संपतो वामन वारिवादावर जाद लिए श्री देवावृता शसादविताना मूल नाम मात्र ३ चियामा दी।४ प्रकार व विनासु लिने से बावनी एशिया सदमिदंगे के दि शिल सावदे तु तितति मा नि त जिमन मे ना मन गरे जी. या जननायके ॥ द्यदुना बाक नवीन मिला हो जनप्रदर हुनेवाः तेना मोललते शिवसेना दातारे आयोका नाममा तिनवति श्राघातः ६ श्री मिनाना पहिल्या दुःखालिका (३ ता सत्रमा सवसनीय दुराज देहात मिश्री यादववाह एलीत सिंह मूल राजन सिंह राउल श्री दारा श्री घट (मंद मूलवाड व देवराना माना जा तो केसरीमा के मयूराक मी दिवा मेदानंदा अकाल मि६ या ॥ १ श्रीमहि स दिवार श्रील पर पति विडेल का एल देता श्री लहजे से सा दिन ध्याय करय हा सकने लाल गरामा मिवानि गृधात ॥ तदीन सिंहासन पूर्व बिल प्राप्ता दाया तक ती तिला वि नासात विमा निक्का ॥२॥ कले श्री खर तर विविक श्री वर्धमाना निजिताः मादक इच ट्रक दुलराज पदि विवाद प्राप्ते खवं तर देऊन (लाॐ ततः कामए श्री जिनवेदमूनि नवी गीतिकार श्री नगई ना89 कटी कार श्री शु दिवस रिचार्ड दिपकरण कार श्रीनिवासेविकादिवता की शितगुन पद श्री ॐ नम विश्री जिनवं विश्रतिपति श्री जिन घर सूरि श्री जिनबा यस विश्री जिम व ३ सरिश्रीजि नऊशल श्री जिनपासूर श्री जनति श्रीजिनचंद्रसूरयः श्री निशामनं प्रनामिती जिलादयाः प्रकाशित प्रा. मला जिनो देयाः कला एवा है दशवाजि नोया घाजहंसाचल व डिनोदय जिनराज विड़: कलमान निनतामा सन्मान सहित नयः स दाम एली श्रिता विमला भारतत्य ॥ येमि हौ तदिदार सारच उरायाना श्रीडिताः सत्यः श्रोल निभायन्ती वित्त विज्ञान कारी श्रीमंघानिय तो मार्वनीन मानव वनं ते सोलताच विकट नरक निविदा निमाविताः श्रा इवावे विदा दि कटक र प्रमुख छाने व कार्य ज्ञानको शदिदिया ज्ञानपुर तट का दिनेगरे आये नवरदान विनियत मर ॥४ जाने का प्रयता का दि काम कार्य क्षण कति विद्यादपक रानापक तिवसा (विज्ञान सारक पन नापनी नामये शिवम कृतिः किय विवि सिंह चैब के दाम किती इम दिपाले वेटर हूँ हैं मातरि ॥ ज्ञामद सम्म लिषाः मि होतममुद्र पार नलडती डा. विकसित राणा श्री गाः ॥ तिश्री गुरु वर्तनाटकं ॥ ॥ ॥श्रीमान किशीगादी व तारायानरमुकाम लेय वयात जनमंडनं ॥ श्त मिश्री के शर्वशिरोडा बारे (लादे मराजःत ढंगज: मा० नाक सदान्म: मा०दो तार की : मा० सौदा कर्मण देवस दिया साथ पाँच सा०वाकर सिंह नामान: टू (सा० चा नायक पाट सुचा शिवराम दीरा ला ला ला नाम काःविवाद: श्री सर्व साधकाःतिपोवटाः । पातील गिनी विकासावर व तयो: : ( रचः पुत्री दी गई। महिला यमिह लाटेत या सादामद सामाद्याः सु तिला रंग बिहान निर्यातीलाद असद पालामला (क) लाई नालाल मादित ढा शिवरा मामलामा जारथाः॥ त्या दिवि वारे में ताः श्रावका कार्यात मानाचतिहित वि॥ विकसति मामाची रेवत मिलिती से विशतेर निः॥२३ जुद्याप चितवन निवासावेर नि अधर्म कारा: । मिरा राज्यश्रीला नवीनः प्रत :कानिः संव१४०० वर्ष ॐ ॐमपत्रिका तिः सर्व दावा 202 : सहश्रावका नाम प्रति माह वः मा० शिवा हो: कामिद मिश्रजिनल इस लि सलवा 895 निर्दिनि ३०० तिता निशा सादर प्रतितः श्री नवनाथो मूलनायक विवाद सारसा० शिवम दिवालो लाला महादेः दिन] साभिक वादन्यं तं राज ल श्री विर सिंदिन सा के श्री माया विविध विधापितः श्री वेद सिंह नापित बार वो ददाः सुबोध व इसाले का दिन भरि मनिपतिश्रीराजनाय सादाम के ले सुत कार्य (सायकाना जिनकुशल लोक तास मुरदा नि सस्था जियारा दस दे तो विराड़ तादं सव देताना व यासादः संवेशामाद कार का प्रसाद विधितिष्ठति गरी हानी दिनदिनवता मराये (अगनितीश दंडया नृतः कामं जयंति। वालजतिनीरण गाउँदा निनादिन तत्प्रासादवित बिलाक तिल के वाद मुदा क्षत्रिय प्रासाद वितयं नं द्यो शिला कतिल मेडन त्रिविविन विद्या वंदित त्रिजगज निशा सोना यता नियोमम विद्यादाय काः क विग जे डाः श्री जटा सागर गुदा विजय तिवाद का विप्राः ॥६ शिल्या के वनाचा यवतीत साम.ॐ ॐ. का पता मे विदितानि वाचनीयादिवः ॥ ॥ श्रीः॥ श्रीः ॥ श्रीः ॥ लिखितान्तानुगणि सर्व संस्था या कविचानि: ३|| दस्य जिनसे नगविश्वावित्ये काडी इंद्र दाम शिव देवेन प्रशत्रिक द का विच ॥११ सार किय माध्य व विशेषज्ञताया विता में खयामा सजिवाला महामुनिधार ॥
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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