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तुम बहुत बेवकूफ हो
मैं तुम्हारी पिटाई कर दूगा।
23. प्रायोगिकी क्रिया :- मन - वचन - काया के योग को अशुभ प्रवृत्ति में लगाना । जैसे असावधान होकर पापकारी भाषा बोलना, गमनागमन करना इत्यादि। 24. सामुदानिकी क्रिया :- समुह में मिलकर जो कार्य किया जाता है उससे 24. सामुदानिकी क्रिया होनेवाली क्रिया सामुदानिकी क्रिया
कहलाती है। जैसे इकट्ठा होकर नाटक, सिनेमा देखना, कई लोगों द्वारा मिलकर एक आदमी की पिटाई करना, युद्ध करना इत्यादि
23. प्रायोगिकी क्रिया
25. ईर्यापथिकी
क्रिया
25. ईर्यापथिकी क्रिया :- कषाय के अभाव में केवल गमनागमन रुप काय योग के निमित्त से जो क्रिया लगे वह ईयापथिकी क्रिया कहलाती हैं । मोह विजेता मुनिवर तथा केवली भगवंत को यह क्रिया लगती है।
इस प्रकार 5 इन्द्रिय, 4 कषाय, 5 अवृत, 3 योग और 25 क्रियाएँ कुल 42 भेद आश्रव के हैं
वीतरागी
* आश्रव के 20 भेदःएक दूसरी विवक्षा के अनुसार बीस प्रकार का आश्रव कहा गया है। उसका विवेचन इस प्रकार है - * 1-5 :- 1. मिथ्यात्व 2. अविरति 3. प्रमाद 4. कषाय 5. योग *6-10 पाँच अवृत - 6. प्राणातिपात 7. मृषावाद 8. अदत्तादान 9. मैथुन 10. परिग्रह * 11-15 पाँच इन्द्रियों की अशुभ प्रवृत्ति * 16 - 18 मन, वचन, काया रुप योगों की अशुभ प्रवृति * 19 भण्डोपकरण वस्तुओं को अयतना से लेना और आयतना से रखना * 20 कुसाश्रव - कुसंगति करना
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153rasanskrit
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